Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 07
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

View full book text
Previous | Next

Page 198
________________ // 10 // // 11 // // 12 // दाणं सक्कारसद्धाकमविहिसहियं देह चारित्तजुत्ते, पत्ते पत्ते ससत्तिं सइ कुणह तवं भावणाभावणं च मा याऽऽयन्त्रह मा य मन्नह गिरि कुत्तित्थियाणं तहा, सुत्तुत्तिचकुबोहकुग्गहगहग्घत्थाणमन्नाण वि / नाणीणं चरणुज्जुयाण य सया किच्चं करेहायरा, नीसेसं जणरंजणत्थमुचियं लिंगावसेसाण वि . कारुन्नं दुखिएसुं गुणिसु पहरिसं सव्वसत्तेसु मित्ति, दोसासत्तेसुविक्खं कुणह तह अकल्लाणमित्ताण चायं / सव्वत्थामं जिणिंदप्पवयणपडणीयाण माणप्पणासं, पूयं पुज्जेसु साहम्मियसयणजणे वच्छलत्तं विहेह सच्छं मच्छरमोहलोहरहियं निक्कामकोहं मउमु(म्म)म्मुक्कं निक्कवडं करेह हिययं हीलेह मा केइ वि / दक्खिन्नं च कयन्नुयं च विणयं गंभीरिमं धीरिमंजं चन्नं कुलधम्मसंमयमहो सेवेह तं सव्वहा दूरे जाव जरा परावइ न जा मच्चू सरीरं च जा, सत्थं जा पडिहाइ इंदियबलं जाव त्थि सामग्गिया। .. ता तुब्भे भववासनासणकए जं लोयलोउत्तराणुत्तिण्णं पकरेह तं बहुगुणं सग्गापवग्गावहं हुंडो-सप्पिणिदूसमाइवसओ जीवाण जोग्गत्तओ, कम्माणं च गुरुत्तणेण बहुसो लोए कसायाउले / मुत्तूणं अणुसोयपट्ठियजणं भूरि पि मुक्खत्थिणा, होयव्वं पडिसोयमग्गमइणा एसोवएसो मम जिणवल्लभवयणरसायणं इमं जे कुणंति तेसि धुवं / धुय-जर-मरणकिलेसं सिद्धत्तमणुत्तरं होइ 185 // 13 // // 14 // // 15 // // 16 //

Loading...

Page Navigation
1 ... 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238