Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 07
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 221
________________ जिय जिणवयणह बाहिरा, बाहिरु भमई सुदुक्खं / / अप्पह लक्खविहूणणहु, मुणइ अभितरु सुक्खु // 54 // जोगह विणु नहु लक्खियइ, कह वि अलक्खह लक्खु। . तं पुण आगमि मुणइ फुडु, सुगुरुपसायहिं दक्खु . // 55 // जोगु जोगु बहु जणु भणइ, कइसउ जोगु सु होइ। . बद्धंसह चरबंधणिहिं, अप्पउं म जणि विगोइ // 56 // . मण-वयण-कायहं तियह, जसु दीसई जुयजुय मग्ग / बपुरि जोगु पमाणु किय, मूढा तहिं गुरि लग्ग // 57 // एक निरंजणु न हु मुणइं, दुण्णि न जाणई बंधु / तिन्नि तिय न विचारहई, कह जोगिय मोहंध // 58 // चियारि चउक्क बूझई नही, पण पंचहं, छहं भेउ / सत्तऽट्ठहं दो नवहं फुडु, सो किम करिसइ छेउ ? // 59 // जे जह ठिय दंसणरहिय जोगह तुडिहिं चडंति / ते दम-संजमगुरु तिविहिं कायकिलेसि पडंति // 60 // बाहिरु अंतरु परमु परु, जीवहं तिविहु कुडंबु / जो न मुणइ सो जगु मुसइ, मंडिउ जोगविडंबु // 61 // दसण-नाणचरित्तमउ रयणत्तउ परि जोगु / जहिं होयइ बहिरंतरह दुविह कुडंबविओगु // 62 // अप्पा वरणु म तणु करहु, अप्पा वरणु न जाइ / परमतत्तु तं मुणहु, जिणि अप्पा निम्मलु थाइ // 63 // जहिं परमप्पा तित्थजलि व्हाया हुति विसुद्ध / तं मेल्हिउ जिय मलकरणि बहिजलि लग्गा मुद्ध // 64 // होमु करउ कमिंधणिहि, अप्पा कुंडि तवग्गि। निम्मलु केवलु जाइ जिम परमप्पा अपवग्गि . . // 65 / / 208

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