Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 07
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 225
________________ ससि रवि विण उज्जोय जसु, जसु अप्पण घण रिद्धि। सो इक्कु जु आराहियइ, जिम पावउ परसिद्धि . // 102 // जिणि आवंतई परमसुह, बहिजंतइ बहु दुक्खु / .. तिणि सहुं जोगिय एक् करि, एउ पच्चक्खु विलक्खु // 103 // रेयण-पूरण-कुंभणहं करणब्भासविहीणु / होइ सयं चिय पवणु थिरु, मणु परमप्पयलीणु // .104 // परदोसे अप्पह मुणइ, अप्पण गुण वि परस्स / एउ बुद्धह लक्खणु परम्, विवरीउ पुण इयरस्स // 105 // गुण(णे?) दोसे(स?), दोसे य गुण मूढप्पा पेक्खेइ / दोसे दोस, गुणे य गुण बुद्धप्पा लक्खेइ // 106 // परगुणपयडणि बुद्ध नर अप्पण गुण पयडंति / उज्जुय परअत्थह करणि, अप्पण अल्थु करिति // 107 // परह अहंमइ अप्प चुउ, बंधइ अप्पु अणंतु / अप्पणि अहमइ परह भुउ मुच्चइ बहु जाणंतु // 108 // बद्धउ तिहुयणु परिभमइ, न चलइ कह वि विमुक्कु / एउ इत्तिउ जिणपहु भणइ, मोक्खंह लक्खु अचुक्कु // 109 // मोक्खह लक्खु अचुक्कु नन्नु जिणनाहु पयासइ / तोडिय बंधण दो वि गुरुय भवदुक्ख विणासइ // 110 // निच्चलु सासयसुक्खु होइ परमप्पा सुद्धउ / राग दोस दुहबंधि भमइ परि तिहुयणु बद्धउ // 111 // न य अप्पा चोएइ मणु, मणु वि न इंदियवग्गु / उभय विणासिअ जोगि ठिउ, तउ पावइ अपवग्गु // 112 // अप्पा अप्पत्तणि मुणिउ, परु वि परत्तणि जेण। होइ नमो तसु अक्खयह सिद्धप्पह तिविहेण . // 113 // 012

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