Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 07
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 226
________________ जहठियगुणलक्खा जे हवंतीह दक्खा, विसयसुहविरत्ता अप्पनाणप्पसत्ता / सिरिजिणपहलग्गा भव्ववग्गा समग्गा, परमपयसुहाणं जाइयं ते निहाणं // 114 // // 1 // // 2 // // 3 // पू.आ.श्रीजयशेखरसूरिविरचितम् // आत्मावबोधकुलकम् // धम्मप्पहारमणिज्जे पणमित्तु जिणे महिंदनमणिज्जे / अप्पावबोहकुलयं वुच्छं भवदुहकयपलयं अत्तावगमो नज्जई, सयमेव गुणेहिं किं बहु भणसि / सूरूदओ लक्खिज्जई, पहाइ न उ संवहनिवहेणं दम सम समत्त मित्ती, संवेअ विवेअ तिव्वनिव्वेआ / एए पगूढअप्पा-वबोहबीअस्सं अंकुरा जो जाणइ अप्पाणं, अप्पाणं सो सुहाणं न हु कामो। पत्तम्मि कप्परुक्खे, रुक्खे किं पत्थणा असणे . निअविनाणे निरया, निरयाइ दुहं लहंति न कया वि। जो होइ मग्गलग्गो कहं सो निवडेइ कूवम्मि? तेसिं दूरे सिद्धी, रिद्धी रणरणयकारणं तेसिं। तेसिमपुण्णा आसा, जेसिं अप्पा न विनाओ ता दुत्तरो भवजलही, ता दुज्जेओ महालओ मोहो / ता अइविसमो लोहो, जा जाओ न (नो) निओ बोहो जेण सुरा-सुरनाहा, हहा अणाहु व्व वाहिया सो वि / अज्झप्पझाणजलणे, पयाइ पयंगत्तणं कामो // 4 // // 8 // . .. 213

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