Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 07
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 224
________________ // 90 // // 91 // // 92 // // 93 // // 94 // // 95 // दिव्वविसय-दिव्वंगतणु-दिव्वसमिद्धिपओगु / मूढप्पा एउ अहिलसइ, नाणी एयह विओगु अंतछत्रसु जोइयह मूढप्पह बहि तोसु / बहिनिव्वत्तियह कोउयह बुद्धह अंतरि तोसु जत्थ मुहा सुहि मइ न रह, सुद्धा रइ तहिं थाइ / जहिं सुद्धा तहिं अप्पमइ, सुन्नु अन्नु सउ भाइ अप्पणि चीवइ परह मुउ, परह करइ उवयारु / वलि किज्जउं तसु जोइज्जह जासु विचित्तु पयारु मूयई जीवंता,मारिया तिहुयणु मूया भमंति / जीवंता निच्चलहुया, पुच्छउ गुरु गयभंति जे नहु चल्लिय ते. गया, जे चल्लिय ते थक्क। . सुगुरुपसाइहि एउ मुणउ, मेल्हिउ अवर विअक्क पहिल्लउं जायउ वेवडउ, पच्छइ जायउ बवुस / त गुरु पुच्छिउ अप्पणउ, फेडउ अप्पविकप्पु जा वइसानरि पल्लुयइ, पाणिइ सुक्किउ जाइ / सो परि जोगिउ जो मुणइ, सा वल्ली कहिं ठाइ तलठिय थिर पावड्डडई गयणह कूवजलेण / सुक्कउ तरु अ मरण करइ, तह वि य पुप्फ फ़लेण निद्दा जाह ति सूयइ नहु, जाह न निद्द ति सुत्त / जग्गंता चोरिहि मुसिय, सुत्ता ण जणि विगुत्त मूढा तं घरु दिदु करहुं, जं बहिभावविउत्तु / निरुवमु, निच्चलु, निच्चसुहु, तिजगपमाणु पवित्तु नेह-अग्गि-वट्टीए विणु, पाणिइं जमु थिरवासु / सो दीवउ पज्जालियइ लोयालोयपयासु 211 // 96 // // 97 // // 98 // // 99 // // 100 // // 101 //

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