Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 07
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 219
________________ महवेयणउवसामउ वि, हीणाहिउ आहारु। जह दोसाए होइ, तह आवस्सगववहारु // 30 // जह संसारियभावण वि, हीणाहिय फलु दिति। .. तह जिणधम्मावस्सग वि, भवियण मोक्खह निति // 31 // मोक्खह साहणि होइ, अह जइ अपमाणु पमाणु / ता किं सव्वत्थविसया, भासिउ जिणिहि पमाणु // 32 // त कि फुरियं दसमच्छरिउ, हा किं दूसमदोसु / सुयबज्झायरणह उवरि, जं गुणियाण वि तोसु // 33 // कह अम्हारिस जीवडा दूसमदूसिय हुँत / . सुहगुरुवयणविवज्जिया जइ सिद्धत न हुंत // 34 // जिणधम्माणुट्ठाण विणु, जीवहं कह वि न मोक्खु / दुट्ठट्ठकम्मिहिं जडिय, पावई चउगइदुक्खु // 35 // पुत्तु, कलत्तु, सुमित्तु, धणु, परियणु, सयणु न कोइ / एकल्लउ जिउ भवि भमइ, जिणवरधम्मविओइ // 36 // भाऊ,-देहु वि ठाइ घरि, सरिसउं कि पि न जाइ / तह वि ममत्तिहिं बहु जिउ, सुगसिउ विसयपिसाइ // 37 // तं एक्कु वि लोयणु नही, जिणि अप्पं पिच्छंति परपेच्छणि मुढाहं पुण, लोयण लक्ख हवंति // 38 // परकारणि निसिदिणु भमई, अप्पह पुण न मुहुत्तु / अप्पह भुल्ला दुहु लहइं पाडिय परिहिं बहुत्तु // 39 // मूढप्पा जहिं वेससिउ, तत्थ वि भउ नन्नत्थ / जओ भीयउ तओ नन्नु पुण अभयट्ठाणु वि कत्थ . // 40 // कवणु न पाविउ विसयसुहु, कवणु न पाविउ दुक्खु / भवि भमडंतइं जीवडई, एक्कु न अप्पह लक्खु // 41 // 206

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