Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 07
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 196
________________ // 19 // // 20 // एत्तेहितो वि जओ, निव्वुइगमणुम्मणाण भव्वाणं / अक्खेवकरणदक्खं, विज्जइ अन्नं न गुणठाणं एवं चिय सहलतं, उवेइ माणुस्समाइसामग्गी / एयविरहे य (पुण) सयलं, विहलमिमं कासकुसुमं व इय पवरमईणं कित्तियं किच्चजायं, सयमवि विउसाणं साहिमो तुम्हमित्थं / तह कह वि हु धम्मे वट्टियव्वं जएहिं, जह भववणमूलुम्मूलणं होइ झत्ति // 21 // तृतीयं कुलकम् / इत्थऽक्खंडियदुक्खलक्खसलिले कुग्गाहमालाउले,. लोहागाहतलम्मि जम्ममरणावत्ते कुतित्थुक्कडे / इट्ठानिट्ठविओगजोगलहरीहीरंतजंतुच्चये, कोहुड्डामरवाडवग्गिविसमे संसारनीरागरे तुब्भेहिं मोहवेलावलवलनवसा-वुड्डणुव्वुड्डणाई, काऊणं चुल्लगाईदसजिणवयणोद्दिट्ठद्दिटुंतसिद्धं / लद्धं सद्धम्मकम्मक्खममुडुवनिभं दुल्लहं माणुसत्तं, संपत्तं खित्तजाइप्पमुहमवि तहेक्कारसंगं समग्गं / ता सिद्धंतपसिद्धिओ समइओ पच्चक्खलक्खेण वा, भो ! लक्खेह वियक्खणा पइखणं दुक्खाण खाणि भवं / जम्हा संतमसंतमित्थ सयलं माइंदजालोवमं, सत्तू मित्तमहो सुही वि असुही सव्वं खणेणाउलं गुंजावायसमुद्धयद्धयवडाडोवुब्भंडं जोव्वणं, संसारीण तणग्गलग्गसलिलुत्तालं तहा जीवियं / // 2 // // 3 // . 183

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