Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 07
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 3 // // 4 // जमारउ // 5 // चतुर्थं कुलकम् / जाइजरामरणजले उदग्गकुग्गाहवग्गदुग्गम्मि / दुव्वारवसणसंचयमहल्लहल्लंतकल्लोले रागदोसभुजंगे रोगुग्गमनक्कचक्कलल्लके / बहुविहकुतित्थदुत्थे रुंदे रुद्दे भवसमुद्दे नर-नरय-तिरिसुराइसु अरहट्ठघडिव्व तिव्वकम्मबला / इह माजवंजवीभावओ चिरं भूरि भमिऊण कहकहवि तुडिवसा चुल्लगाइदिटुंतदुल्लहं तुमए / मणुयत्तं पत्तं सुत्तसवणसद्धाविरियजुत्तं ता दुल्लहमिमं चिंतामणि व चउरंगियं लहेऊणं / मा सुद्धधम्मकरणे पमाय-मायरसु अप्परिउं जम्हा समत्थसत्थत्थजाणगा सव्वपुव्वपारगया। पत्तअमत्तट्ठाणा समग्गसामग्गिकलिया वि हिंडंत णंतकालं तदणंतरमेव नरयरयपडिया। . पावप्पमायवसओ गहि(ही)रभवावत्तंगत्तम्मि तम्हा पमायमयरामयं पमुत्तूण कुणसु तं निच्चं / धम्मं संमं सम्मत्तमाइ तस्साहणत्थं च संविग्गे गीयत्थे जहसत्ति कयविहारपरिहारे / सययं पयओ सेविज्ज संजए निज्जियकसाए निसुणिज्ज सुद्धसिद्धंतमंतिए तेसिं सम्ममुवउत्तो / तत्तं नाउं कुग्गहरहिओ वट्टिज्ज तविहिणा वत्थपडिग्गहमाई सद्धासक्कारसारमाणाए। .. सुद्धं सिद्धतधराणं दाणमवि दिज्ज सत्तीए . // 6 // // 7 // // 8 // // 10 // // 11 // 186
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