Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 07
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 208
________________ सयला चिय जइकिरिया परमपयपसाहिगा वि बहुसो वि / कवडेण कया न कुणइ मुक्खाणुगुणं गुणं कमवि // 16 // सयलवसणिक्ककोसो सुहरससोसो जओ अरइपोसो / नासियतोसो तो सो बहुदोसो ही असंतोसो // 17 // उग्गंऽतरंगरिउसच्छहम्मि लोहम्मि जेऽणुसज्जंति / ते बहुदुहपडिहत्थं हत्थं वंछंति नरयगई // 18 // हयसोहं कयमोहं दुहसंदोहं भवप्परोहसमं / विहुयसुबोहं लोहं तो हंतुं होइ जइयव्वं // 19 // तह निययमणत्थनिबंधणं धणं बंधणं व बंधुजणो / कारागारा दारा वि कामभोगा महारोगा // 20 // जलबुब्बुय व्व सव्वे जीवियजुव्वणधणाइसंबंधा। सुहसाहणमिह सयलं पवणुद्धयधयवड़विलोलं . // 21 // सुलहा य पियविओगा अणिट्ठजोगा सुदूसहा रोगा। बंधणधणहरणाणि य वसणाणि य बहुपयाराणि // 22 // सहजं चिय इत्थ भयं चिंतासंतावसंतई य सया / दोहग्गं दोगच्चं पराणुवित्ती अकित्ती य // 23 // ता धुवमधुवमसारं दुक्खाहारं च मुणिय संसारं / तक्खयकए मइमया न कयाइ पमाइयव्वं ति // 24 // भवभयहरं च भणियं नियनियगुणठाणगोचियं निच्चं / सदगुट्टाणं ठाणं कल्लाणाणं समग्गाणं // 25 // तं पुण सुजुत्तिजुत्तं सुसुत्तवुत्तं सुगुरुनिउत्तं च / कुणइ सुनिउणमईणं कम्मक्खयमक्खयपयं च // 26 // तं पि सुहाणुट्ठाणं रागद्दोसविसपसममंतसमं / दुलहं.पि काकतालीयनायओ कह वि जइ पत्तं // 27 // 195

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