Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 07
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 209
________________ ता तत्थ सुगुरुकहिए गीयत्थसमत्थिए जइक्कहिए। वितहाभिणिवेसो खलु न खमो कल्लाणकामाण // 28 // किं तु भववासणासणहेऊ जिणसासणं पि हु लहेडं। तत्थ नत्थ य सम्मं जइयव्वं भावसुद्धीए // 29 // सा पुण नेया मग्गानुसारिणो पयइसुद्धचित्तस्स। गीयत्थाणारुइणो पनवणिज्जस्स सद्धस्स // 30 // इयरस्स उ समइकया कुग्गहरूवा य सा अणिट्ठफला / मिच्छत्तओ चिय फुडं जियाण जं कुग्गो होइ // 31 // ता रागचागकुग्गहनिग्गहपुव्वं तहा पयइयव्वं / जह लोएऽणुवहासं गुणवल्ली लहइ उल्लासं ___ // 32 // गणिजिणवल्लहवयणं पउणं सउणं व जे सुणंति इमं / मग्गाणुसारिणो लहु सुहेण ते सिवपुरमुर्वेति // 33 // नवमं कुलकम् / इह कुणयभुयंगे जम्ममच्चूतरंगे दुहजल पडहत्थे नोकसाउ(ऊ)रुमच्छे। परिभमिरकसाउग्गाढगाहे अगाहे महइ भवसमुद्दे मोहआवत्तरुद्दे // 1 // चिरचियनियकम्मुद्दामसज्जोविवागुब्भडफुडरयवेलामज्जिरुम(म्म)ज्जिराणं / पुढविजलसमीरग्गीसु लोए असंखे, तरुसु पुणरणते णंतसो संठियाणं // 2 // चउगइकुलकोडीजोणिलक्खेसु भूयो, भमिय गुणियकम्मीभूयदुक्खद्दियाणं / अहह गहिरपारावारविक्खित्तमुत्ता, रयणमिव जियाणं दुल्लहं माणुसत्तं // 3 // 16

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