Book Title: Shaddravya Vichar Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 10
________________ थयो. तेम बीजा भव्य जीवोने थाय, एम जाणी औं ग्रंथ छपाक्वा तेओए अनुमति मागी ते योग्य लागवाथी आपी छे. क्षमापना. आ ग्रंथमां कोइ ठेकाणे मति दोषथी भूल थइ होय तो ते माटे पंडित पुरुषोए. मारा उपर क्षमा करी सुधारवी " शुभे यथाशक्ति यतनायं " ए न्यायने अनुसरी में आ प्रयास को छे, तेमां कांइ वीतराग वचनथी विरुद्ध लखायु. होय ते संबंधी मिच्छामि दु कडं दई छं. भलामण. आ ग्रंथनों विषय गहन होवार्थी गीतार्थ समक्ष समजीने दांचवाथी हितकर थशे माटे ते प्रमाणे वर्त आ ग्रंथनो लाभ लेवामां आवशे तो करेलो प्रयत्न साल थयो गणाशे.

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