Book Title: Savruttik Aagam Sootraani 1 Part 15 Rajprashniya Mool evam Vrutti
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Vardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana

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Page 185
________________ आगम (१३) [भाग-१५] “राजप्रश्नीय” – उपांग सूत्र-२ (मूलं+वृत्तिः ) --------------- मूलं [३६] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [१३] उपांगसूत्र- [२] "राजप्रश्नीय" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति: श्रीराजमनाला मलयगिरीया वृत्तिः मन्डपस्पत ॥८८॥ जिनसक्यो प्रत सूत्रांक [३६] महिंदज्याण पुरतो पत्तेयं २ नंदा पुक्खरिणीओ पण्णताओ, ताओ णं पुक्खरिणीओ एग जोयपासयं आयामेणं पक्षणासं जोयणाई विक्खंभेण दस जोयणाई उचे हेणं अच्छाओ जाव वण्णओ एगइयाओ उदगरसेणं पण्णत्ताओ, पत्तेयं २ पउमवरवेइयापरिखित्ताओ पत्तेयं २ वणसंडपरिखित्ताओ, तासि ण णंदाणं पुक्खरिणीणं तिदिसिं तिसोवाणपडिरूवगा पण्णत्ता, तिसोवाणपडिरूवगाणं वणओ, तोरणा झया छत्तातिछत्ता। सभाए गं मुहम्माए अध्यालीसं मणीगुलियासाहस्सीओ पण्णताओ, संजहा-पुरछिमेणं सोलससाहस्सीओ पचच्छिमेण सोलससाहस्सीओ दाहिणेणं अट्ठसाहस्सीओ उत्तरेणं अहसाहस्सीओ, तासु णं मणोगुलियासु बहवे सुवष्णरूप्पमया फलगा पण्णता, तेसु ण सुवन्नरुपमएसु फलगेसु बहवे वइरामया णागर्दता पण्णता, तेसु णं वइरामएसु णागर्दतएम किण्ह सुत्नवस्वग्धारियमल्लदामकलावा चिट्ठति, सभाए णं सुहम्माए अडयालीसं गोमाणसियासाहस्सीओ पन्नताओ, जह मणोगुलिया जाव णागदंतगा, तेसु णं णागदतएसु बहवे रथयामया सिकगा पष्णता, तेसु ण रययामएमु सिकगेम बहवे वेरुलियामइओ धूवघडियाओ पपणत्ताओ, ताओ णं धूवघडियाओ कालागुरुपवरजावचिट्ठति, सभाए ण मुहम्माए अंता बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पण्णत्ते जाव मणीहि उवसोभिए मणिफासो य उस्लोयओ थ, तस्सणं बहुसमरमणिजस्स भभिभागस्त यहमजादेसभाए एत्थ णे महेगा मणिपेढिया पणचा सोलस जीयणाई आयामवि दीप अनुक्रम [३६] ॥८८॥ SAREatinia ~185

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