Book Title: Savruttik Aagam Sootraani 1 Part 15 Rajprashniya Mool evam Vrutti
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Vardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana

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Page 212
________________ आगम (१३) प्रत सूत्रांक [ ४१-४२] दीप अनुक्रम [ ४१-४२] मूलं [ ४१-४२] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र - [१३] उपांगसूत्र- [२] "राजप्रश्नीय" मूलं एवं मलयगिरि -प्रणीता वृत्तिः Eucation t [भाग-१५] “राजप्रश्नीय” – उपांग सूत्र - २ ( मूलं + वृत्ति:) माणे पालेमाणे विहराहित्तिक जयग्स पर्जति । तए णं से सूरियाभे देवे महया २ इंदाभि सेगेणं अभिसित्ते समाणे अभिसेयसभाओ पुरच्छिमिल्लेणं दारेणं निग्गच्छति निरगच्छत्ता जेणेव अलंकारियसभा तेणेव उवागच्छति उवागच्छिता अलंकारियस अणुप्पयाहिणीकरेमाणे २ अलंकारियस पुरच्छिमिल्लेणं दारेणं अणुपविसति २ जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छति सीहासणवरगते पुरत्याभिमुद्दे सन्निसन्ने । तए णं तस्स सरियाभस्स देवस्स सामाणियपरिसोववन्नगा अलंकारियभवति, तए णं से सूरियाभे देवे तप्पढमयाए पहलमालाए सुरभीए गंधकासाइए गायाई हेति हित्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं गायाई अणुलिंपति अणुर्लिपित्ता नासानीसासवायवो चक्खुहरं वन्नफरिसजुतं हयलालापेलवातिरेगं धवलं कणगस्वचियन्तकम्मं आगास फालियसमक्षं दिवं देवद्राजुयलं नियंसेति नियंसेत्ता हारं पिणडेतिर अबहारं पिणडेहर गावलिं पण तिरमुत्तावलिं पिणडे ति २त्ता रयणावलिं पिणडेइ २ ता एवं अंगवाई केयूराई कडगाई तुडियाई कडिसुतगं दसमुद्दाणंतर्ग विकच्छसुत्तमं मुरविं पालंबं कुंडलाई २चूडामणि मउड पिणढेइ २ गंधिमवेडिमपूरिम संघाइमेणं चव्विणं मल्लेणं कप्परुक्aiपिव अप्पाणं अलंकियविभूसियं करेइ २ दद्दरमलयसुगंधगंधिपाहिं गायाई भुखंडे दिव्वं च सुमणदाभं पिणडेइ ॥ ( सू० ४२ ) ॥ 'ते काले तेणं समरण' मित्यादि, तस्मिन् काले तस्मिन् समये सूर्याभो देवः सूर्यामे विमाने उपपातसभायां सूर्याभदेवस्य अभिषेकस्य वर्णनं For Panal Prsata Use Only ~ 212~ 46

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