Book Title: Sasural Jate Samay Putriko Mataka Updesh
Author(s): Dipchand Varni
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 7
________________ पुत्रीको माताका उपदेश CHOREOSECRECTOOSEXSECREDCREEXSEOCOREOCROR ससुरालके बच्चोंके यदी वे सोना चाहें तो भले प्रकार उढ़ौना बिछौना करके सुलाना। उनको सुलाते, झूलना झुलाते अथवा थपथपाते समय अच्छे अच्छे बालकोपयोगी गीत गाया करना। यदि वे जागते हों, तो उन्हें बहलानेके लिये घरके खेल खिलौने व अन्य वस्तुयें जिनसे कि बच्चोंको उत्तम शिक्षा मिल सके दिखाना, परंतु कभी भी बच्चोंको भूत प्रेतादिक झूठा भय दिखाकर मत डराना, क्योंकि इससे बच्चे डरपोक और कायर बन जाते हैं। (11-12) यह बच्चा हमेशा रोता ही रहता है यह बड़ा दंगा करनेवाला लडाकू है, इसकी नाकमेंसे लीट बहती है आंखोंमें कीचड़ भरा है, बार२ चौंक उठता है, इसके माथेमें खाड़ा है, यह गोदमें नहीं आता, यह जोर जोरसे चिल्लाता है। इत्यादि कठिन और घृणित शब्द किसी बच्चेको न कहना। न कभी किसी बच्चेको व्यर्थ धमकाना, न मारना, न उस पर चिल्लाना, किन्तु मीठे मीठे शब्दोंसे समझाकर उसका हठ छुडाना। क्योंकि प्रेमसे बच्चे तो क्या देव मनुष्य, पशु, पक्षी आदि सभी वश हो जाते हैं। कहा भी हैं : मिष्ट वचन हैं औषधी, कटुक वचन हैं तीर। श्रवण द्वारा हो संचरे, साले सकल शरीर। (13) इसलिये निम्न प्रकारसे कार्य करना। सुन! अपना स्थान, भोजन, वस्त्र, आभूषण, स्वशरीर और बच्चे ये मैले रहनेसे लोकमें निंदा होती है, और अनेक प्रकारके रोग भी आकर घेर लेते हैं, क्योंकि स्वच्छता आरोग्यताकी जननी है। भोजनके पदार्थ बहुत सावधानीसे शोध बीनकर तैयार करना, क्योंकि भोजनके पदार्थोमें बहुतसे कीड़ी, मकोड़ी आदि जीव चढ़ जाते हैं, अथवा

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