Book Title: Sasural Jate Samay Putriko Mataka Updesh
Author(s): Dipchand Varni
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 38
________________ 36] ससुराल जाते समय PCMCSCRECTOCHECHERXXXSEXSEXSEXERCIENCE (10) रसोई करना यह तुम्हारा मुख्य काम है इसलिये इस काममें किसी प्रकार आलस्य न करके अच्छे प्रेम और उत्साहके साथ कि जिससे तुम्हारे भोजनकी प्रशंसा होवे, किया करो ऐसी रसोई बहुत स्वादिष्ट और हितकारी होती है। (11) किसीको जिमाते हुए भोजन बड़े प्रेम और शुद्ध भावसे कि "यह भोजन सबको हितकारी हो।" परोसना, क्योंकि बिना मनसे व कुभावोंसे परोसा हुआ भोजन खानेवालेको विषका काम करता है। तात्पर्य-परोसनेके समय जैसा भाव माता पुत्रके प्रति रखती हैं ऐसा रखना चाहिए। (12) भोजन तैयार करनेके संबंधमें एक आवश्यक बात यह भी है कि पुरुषोंका भोजनधार प्रायः स्त्रियां ही होती हैं। ये उन्हें जैसा पवित्र अपवित्र, स्वादिष्ट, षट्रसों, नीरस, चटपटा या सादा भोजन बनाकर खिलावें वैसा ही उन्हें खाना पड़ता है और कभीर प्रकृति विरुद्ध कच्चा, चटपटा व निरुत्साहसे बनाया हुआ भोजन हानि भी पहुंचा देता है। इसलिये सदैव ऋतु उद्यम, प्रकृति देश और रुचिके अनुसार फेरफार करते हुये, सादा भोजन बनाना चाहिये कि जिसके शरीर आरोग्य रहे, मनपर किसी प्रकारका बुरा प्रभाव नहीं पड़ने पावे और कभी क्लेश उठानेका अक्सर न आवे मनके उपर भी भोजनका बहुत प्रभाव पड़ता है। (13) अधिक खारा, खट्टा चरपरा व मीठा भोजन छोटे बड़े सबकी आरोग्यताको हानिकारक है। यह पाचनशक्तिको बिगाड़ता है लोहूको तपाता, आंतोके रसोंको बिगाडता और बहुतसे चर्मरोगोंको उत्पन्न कर देता हैं। ऐसे भोजनसे खट्टी डकार, हिंचकी, पेटमें पवनका रूकना और मरोड़ आना, शरीर व गलेमें खुजली आना दस्त व पेशाबके

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