Book Title: Sasural Jate Samay Putriko Mataka Updesh
Author(s): Dipchand Varni
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 41
________________ पुत्रीको माताका उपदेश [39 SOCIS CSECSECSESEOSESEISEX SEXSPISESEOS है, इससे कभीर यह घबड़ाकर जानबूझके कुपथ्य कर बैठता है, इसलिये उसकी बहुत चौकसी रखनी चाहिए। (20) बीमारके कमरेमें मन प्रसन्न करनेवाली अच्छीर तस्वीरें उसके सामने लटकाना चाहिये जिससे उसका चित्त उनमें लगा रहे। और वह रोग पर पुनः विचार न करने पावे। क्योंकि निरंतर रोगका विचार करते रहनेसे कभीर रोगीका साहस घट जाता है दवासे विश्वास उठ जाता है और वह रोगको असाध्य मानकर निरन्तर चिंता चिंतामें भस्म होकर फिर कभी स्वास्थ्य लाभ नहीं कर सकता। (21) रोगीके पास बैठकर कभी कोई कायरता भय व शोकोत्पादक बात नहीं करना चाहिये, न उससे कभी यह कहना चाहिये कि तुम्हारा रोग असाध्य है, किंतु सदैव उसे मधुर वचनों द्वारा संतोष और साहस बंधाते रहना चाहिये, क्योंकि ऐसा न करनेसे कभीर रोगी घबरा कर प्राण तक छोड देता है। इसलिये सदैव दिल बहलानेवाली उत्तम पुरुषोंकी कथायें, धार्मिक उपदेश, तत्वचर्चा, वैराग्य भावना, ईश्वरके गुणानुवाद, कर्मोका और जीवका स्वरूप और उनसे उसके छूटनेका उपाय इत्यादिकी चर्चा करते रहना चाहिये ताकि रोगीका लक्ष्य रोगकी ओर जावे ही नहीं। वेदना हटानेका यह बड़ा भारी उपाय है। (22) सबेरे उठकर घरके सब किबाड खोलकर प्रत्येक स्थानमें नवीन हवा और सूर्यका प्रकाश पहुंचाना चाहिये, क्योंकि जिस घरमें हवा और प्रकाश बराबर नहीं पहुंचाया जाता है उस घरमें रहनेवाले और अधिकतर स्त्रियां प्रायः पीली पड़ जाती हैं और सदैव रोगसे पीडित बनी रहकर वैसी ही निर्बल संतान उत्पन्न

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