________________ ससुराल जाते समय SXSEOCIEOCORRECORPOCSOCTOCROCHECREOCTOCHEECHECE नारीजीवन-साफल्य जैन महिलाओ उठो, कर्तव्य च्युत क्यों हो रहीं। पड़कर अविद्या नींदमें, सर्वस्व अपना खो रहीं। ध्यान दो इसपर तनिक, क्यों है हुई ऐसी दशा। दासी बना हमको मनुज, क्यों कर रहे यों दुदशा॥१॥ जिनमें सहस्त्रों शिक्षिता, साध्वी सती थीं पंडिता। द्रोपदी सीता सदृश सूरपूज्य सद्गुण मण्डिता॥ उनमें अशिक्षा, मूर्खता, अहमन्यताके वश हुई। पैरकी जूती सद्दश, यह पद पै ठुकराई गई // 2 // यदि आत्मगौरव और पूर्वज धर्म सतियोंकी तुम्हेंहै लाज, स्त्री जन्मको सार्थक बहिन करना तुम्हें। तो फूट मत्सर, ईया, अज्ञान, आलस, त्याग दो। संयुक्त बलसे शिक्षिता हो, विश्वमें ललकार दो॥३॥ हम नारियां हैं मानवोंसे धर्मकी सहकारिणी। देश जात्योद्धारको हम, पूर्ण हैं अधिकारिणी॥ कर्तव्य अपनेसे पुनः गृह स्वर्ग तुल्य बनायेंगी। अंजना ओ चेलना को, ज्योतियां झलकायेंगी॥४॥ तज पत्थरोंके धृणित गहने, धर्म. आभूषण सजा। अश्लील गाने त्याग स्त्री-धर्मकी बंशी बजा॥ निज पुत्रियों और बालकोंमें, भव्य ज्योति जगायेंगी। निंद्य नारी जन्मको, सार्थक अहा! कर जायेंगी॥५॥ O