Book Title: Sasural Jate Samay Putriko Mataka Updesh
Author(s): Dipchand Varni
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 16
________________ 14] ससुराल जाते समय CROCHEOCHECREOCEROCIEOCSEOCEACHERCREACHERCEOXX अर्थात् - सदैव मेरी इच्छानुसार चलने और मेरी आज्ञाओंको पालन करनेका ध्यान रखना, और जिस प्रकारसे पतिव्रता धर्म पालन हो ऐसा प्रयत्न करते रहना। (ख) हे स्त्री! मेरे द्वारा रक्षित जो पशुपक्षी तथा आश्रितजन हों उनका भलेप्रकार पालन करना, उन्हें यथायोग्य संतुष्ट रखना, तू भी संतोषवृत्तिसे रहना और कभी भी अपने चित्तको चंचल नहीं होने देना। (ग) अपना सुख व दुःख जो कुछ भी, हो एकान्तमें मुझसे ही कहना, और घरकी बात बहार कभी किसी अन्य स्त्री पुरुषोंको नहीं कहना।। (घ) सदैव सासु ससुर, देवर, जेठ, देवरानी जिठाना, ननंद व बाल बच्चोंसे बिना किसी प्रकारके द्वेष भावसे वर्ताव करना, जिससे तेरी कीर्ति व यश हो, और घरमें फूट न पडने पावें। (ङ) हे स्त्री! तू मेरे कलका भूषण बनकर मेरे तन, धन तथा जनकी पूरी२ सम्हाल रखना। ये शिक्षाएं (जो आज मैं तुझे दे रहा हूं) तू कभी मत भूलना। इसीमें तेरा कल्याण व श्रेय है और इसीसे तू सुखको व यशको प्राप्त होगी। (26) बेटी! इस प्रकार लग्न समय तुझे तेरे पति द्वारा शिक्षाएं प्राप्त हुई है। उनको तू भले प्रकार पालन करना, जिससे तुझे सुख मिले, और दोनों कुल वृद्धि तथा यशको प्राप्त होकर संसारमें आदर्शरूप हों। (27) बेटी! तू बडोंकी आज्ञा पालन करना और छोटों पर प्रेम रखना। कहा है गुरुजनकी भक्ति सदा, अरु, छोटों पर प्रेम। समवय लख आदर उचित, करो निवाहो नेम॥ / किसीसे ईर्षा नहीं करना। नोंकरों पर माताके समान क्षमा और प्रेम रखना। अपने पिता अथवा ससुरको संपत्तिका मान

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