________________ पुत्रीको माताका उपदेश [15 EXSEXSEXSEXSEXSEXSEXSEXSEXSEXSEOCEECRUs नहीं करना और न उनकी गरीबीमें कभी घबराना। उत्तम पुरुष सम्पत्ति विपत्तिमें सदा एक ही भांति समुद्रके समान गम्भीर रहते हैं वे कभी मर्यादा नहीं छोड़ते। प्यारी बेटी! एक बात और स्मरण रखने लायक है कि____यदि कदाचित् कोई स्त्री चाहे वह तुझसे छोटी हो या बडी परंतु यदि वह अशुभोदयसे विधवा हो गई हो और तेरे घरकी हो या वहां रहती हो, तो उससे बहुत प्रेम व आदर भावसे वर्ताव करना, उसके खानपानादिमें किसी प्रकारकी त्रुटि न करना, न कभी उसे घृणाकी दृष्टिसे देखना। क्योंकि वह घृणाकी पात्र नहीं किन्तु करूणाकी पात्र है। देखो, उनसे घृणा करके तिरस्कार व्यवहार करने या खानपान आदिमें त्रुटि करने या धर्मसाधनामें बाधक होनेसे कभीर बहुत बुरा परिणाम आजाता हैं। वे अत्यंत यातनाएं या तिरस्कारके कारण या अन्य दुष्टा स्त्री पुरुषोंके द्वारा उत्तेजन मिलनेसे अपना सन्मार्ग छोड़ बैठती और केवल अपने दोनों कुलोंकी ही नहीं किंतु धर्म व समाजको भी कलंकित कर बैठती हैं। उनकी प्रलोभन देनेवाले दुष्ट जन पहिले तो मीठी२ बातों द्वारा प्रेम दर्शाते हैं। और पश्चात् जब वे किसी प्रकार उनके जालमें फँस जाती है, तब पीछे उनका प्रथम धर्म और पश्चात् धन हरण करके निराधार अवस्थामें छोड़ देते हैं, जिससे वे बेचारी वेश्यावृत्ति तक करके उदरपूर्ति नहीं कर सकती और उभयलोकमें दुःख पाती हैं। बेटी! ऐसी नीच प्रकृत्ति नरनारियोंकी संसारमें कभी नहीं हैं वे उजले रूप रंग स्वांगधारी बगुलावत् आचरण करते हैं। उनको पहिचान जरा कठिनतासे होती है, इसलिये ऐसे कुस्थलोंसे नारी जातिकी रक्षा करना हम लोगोंका कर्त्तव्य है।