Book Title: Sasural Jate Samay Putriko Mataka Updesh
Author(s): Dipchand Varni
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 20
________________ 18] ससुराल जाते समय CHECSECREECEOCHROCHECORRECTROCIRECIRECERCIENCE इसलिये जब कभी जो चाहे तभी ऐसे भजन गान सुरतालसे गाया व जोड़ा करना। (29) बेटी! अपने पति (घर) को आमदनी देखकर उसी प्रमाण खर्च करना। आयसे अधिक व्यय करनेसे पीछे बहुत कष्ट उठाना पड़ता है। कहा है अपनी पहुंच विचार कर, कर्तव करिये दौर। उतने पांव पसारिये, जितनी लांबी सौर // बेटी! प्रायः पुरुषोंकी बारीक दृष्टि नहीं रहती है। इसलिये घरके कामों में मितव्ययता रखना और बचत करना यह स्त्रियोंका ही काम हैं और यह लाभदायक भी है। (30) घरमें नोकर चाकर प्रायः हल्की जातिके व कम वेतनवाले भी होते हैं। सो जब ये लोग बाजारसे कोई वस्तु लावें, तो तू कभीर उन वस्तुओंकी तौल माप व तपास भी कर लिया करना ताकि ये लोग चोरीमें पकड़े जाने और ठगाई आदिसे बचे रहें, तथा और भी किसी प्रकारकी ऐसी कोई बुराई न सीखने पावें। और देख! नौकरोंसे बारर तकरार नहीं करना और न उन्हें अपने मुंह लगाना। (31) नोकर चाकरोंसे ऐसा वर्ताव रखना, कि जिससे वे तुम्हें गम्भीर दंपति समझते रहें। उनके मन में तुम्हारी ओरसे मान रहें और देख! व्यय तथा आयका हिसाब भी बराबर रखते रहना। इससे ही तू बचत कर सकेंगी और अपव्ययसे बचेगी। तात्पर्य कि तू सब प्रकारसे गृहिणी शब्दको सार्थक करना। (32) बेटी! हरएक वस्तुका बाजार भाव प्रायः कम ज्यादा होता रहता हैं, इसलिये अवसर देखकर तू घरमें अनाज गुड़ घी

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