Book Title: Saral Samudrik Shastra
Author(s): Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh

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Page 8
________________ सरल सामुद्रिक शास्त्र इस साधना में कुछ बातें अत्यन्त आवश्यक हैं, जो निम्नलिखित हैं1. स्त्री संसर्ग तथा स्त्री चर्चा साधना काल में त्याज्य है। 2. क्षौरकर्म न करें। 3. संध्या, गायत्री स्मरण निश्चित हो। 4. नग्नावस्था में, बिना स्नान के, अपवित्र हाथ से, सिर पर कपड़ा रख कर जप करना निषिद्ध है। 5. जप के समय माला पूरी हुए बिना, बातचीत नहीं करनी चाहिए। 6. छींक अप्रश्य, अपान वायु होने पर हाथ धोवें तथा कानों को जल से स्पर्श करें। 7. आलस्य, जमहाई, छींक, नींद, थूकना, डरना, अपवित्र वस्त्र, बातचीत, क्रोध आदि जपकाल में वर्जित है। 8. पहले दिन जितना जप किया जाए रोज उतना ही जप करें इसे घटाना बढ़ाना उचित नहीं है। 9. जपकाल में शौच जाने पर पुनः स्नान कर जप में बैठे। जपकाल के नियम जपकाल में निम्न नियमों का भी पालन किया जाना चाहिए 1. भूमि शयन, 2. ब्रह्मचर्य, 3. नित्य स्नान, 4. मौन, 5. नित्य दान, 6. गुरु सेवा 7. पापकर्म परित्याग 8. नित्य पूजा 9. देवतार्चन 10. इष्टदेव व गुरु में श्रद्धा, 11. जप निष्ठा 12. पवित्रता। नास्ति हस्तात्परं ज्ञानं त्रैलोक्ये सचराचरे। यद्ब्राह्मयं शास्त्रकं हस्ते धृतबोधाय जन्मिनाम्।। तीनों लोकों में हस्तज्ञान सबसे बढ़कर ज्ञान माना गया है। इसकी रचना स्वयं ब्रह्माजी ने की है। वास्तव में यह ब्रह्माजी द्वारा लिखा गया एक ऐसा ग्रन्थ है जो जीवन भर मनुष्य का मार्गदर्शन कराता है।

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