Book Title: Saral Samudrik Shastra
Author(s): Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh

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Page 37
________________ सरल सामुद्रिक शास्त्र ललाट एवं ललाट रेखायें सामान्य भाषा में सिर के अग्र भाग को ललाट कहते हैं। ललाट की आकृति और उस पर पायी जाने वाली रेखाओं के संबंध में अनेक ग्रन्थों में वर्णित है। ललाट व रेखाओं से जातक की बौद्धिक क्षमता, ज्ञान, विचार, साहस, व्यवहार आदि के बारे में ज्ञान प्राप्त होता है। निःस्वा विषम भालेन दुःखिता ज्वर जर्जराः। परकर्मं करा नित्यं प्राप्यन्ते वध वन्धनम।। (सामुद्रिक शास्त्र) जिस जातक का ललाट नीचा हो, अविकसित हो, ऐसा जातक जीवन में ज्वर से पीड़ित होता है तथा निम्न कोटि का कार्य करने वाला होता है एवं जीवन में सफलता और सम्मान से वंचित होता है। ललाटेनार्धं चन्द्रेण भवन्ति पृथ्वीश्वराः। विपुलेन ललाटेन महानरपतिः स्मृतः ।। श्लेक्ष्णेन तु ललाटेन नरो धर्मरस्तथा। (भविष्यपुराण) जिस जातक का ललाट अर्ध चन्द्राकार होता है तथा उन्नत एवं फैला होता है, वह जातक भूमि और सम्पत्ति का स्वामी होता है तथा ऐसे जातक सुखी होते हैं। यदि ऐसे जातक का ललाट चिकनाई युक्त होवे तो जातक में धर्म कार्य करने की रुचि बढ़ जाती है। • जिस जातक के ललाट पर हंसते समय भौंहों के बीच दो खड़ी रेखा स्पष्ट हो जाय तो ऐसे जातक अच्छे गुणों से सम्पन्न होते हैं तथा सुख भोगते हैं। • जिस जातक का ललाट बहुत नीचा हो साथ ही ललाट में नसें उभरी हों तो ऐसे जातक दुःखी, और पापी होते हैं। • जिस जातक के ललाट में त्रिशूल वज्र या धनुष का चिन्ह हो तो ऐसे जातक को उच्च पदों वाली स्त्रियां पसंद करती हैं। 37

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