Book Title: Saral Samudrik Shastra
Author(s): Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh

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Page 58
________________ सरल सामुद्रिक शास्त्र जन्मतः प्रथमेंऽशे वा द्वितीये च तृतीयके । भोजनावसरे दुःखं केप्याहुः श्रीमतामपि।। यदि तर्जनी व मध्यमा के बीच में अन्तर रहे तो जवानी के समय तक बड़े-बड़े धनवान लोगों को भी भोजन के समय मानसिक पीड़ा होती है। मध्यमा व अनामिका के बीच छिद्र हों तो मध्यमावस्था (30 से 50 वर्ष) तक तथा कनिष्ठा व अनामिका के बीच अन्तर रहता हो तो बुढ़ापे में ऊपर बताया गया फल होता है ऐसा विद्वानों का मत है। अंगुलियों की लम्बाई अनामिकान्त्यरेखायाः कनिष्ठा स्याद्यदाधिका। धनवृद्धिस्तदा पुंसां मातृपक्षो बहुस्तथा।। अनामिका के तीसरे पर्व से यदि कनिष्ठा अंगुली लम्बी हो तो ऐसे व्यक्ति की रात-दिन धन की बढ़ोत्तरी होती है। ऐसे व्यक्ति का मातृपक्ष भी बलवान होता मध्यमाप्रान्तरेखाया अधिका यदि तर्जनी। प्रचुरस्तु पितुः श्रियश्च विपदोऽन्यथा।। मध्यमा के आखिरी पर्व से तर्जनी अंगुली ऊपर हो तो ऐसा व्यक्ति धन-सम्पत्ति प्राप्त करता है तथा इसका पितृपक्ष काफी बलवान होता है। मध्यमा के तीसरे पर्व से नीचे रहने वाली तर्जनी अशुभ फल देनेवाली होती है। अंगुष्ठस्यांगुलीनां च यद्यूनाधिकता भवेत् । धनैर्धान्यैस्तदा हीनो नरः स्यादायुषाऽपि च।। 58

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