Book Title: Saral Samudrik Shastra
Author(s): Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh

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Page 59
________________ सरल सामुद्रिक शास्त्र यदि अंगूठे की तुलना में अंगुलियां अधिक छोटी या बड़ी हों तो वह व्यक्ति अल्पायु तथा धन-धान्य से रहित होता है। मध्यमायां तु दीर्घायां भार्याहानिर्विनिर्दिशेत् । अनामिकायां दीर्घायां विद्याभोगी भवेन्नरः ।। यदि मध्यमा असामान्य रूप से बड़ी हो तो ऐसे व्यक्ति को स्त्री का सुख प्रायः नहीं मिलता है। उसे कई विवाह भी करने पड़ सकते हैं अनामिका अंगुली लम्बी होने पर व्यक्ति बुद्धिमान तथा विद्यावान और पढ़ने का शौकीन होता है। अंगुलियों से आयु विचार अनामिकापर्व यदा बिलङघते कनीनिका वर्षशतं स जीवति। नवत्यशीतिर्विगमे च सत्पतिः समानभावे खलु षष्ठिजीवितम् ।। यदि कनिष्ठा अंगुली अनामिका के तीसरे पर्व से लम्बी हो तो वह व्यक्ति दीर्घायु वाला होता है। अनामिका के तीसरे पर्व से आगे निकलती हुई कनिष्ठा अंगुली के अनुपात से सौ, नब्बे, अस्सी, सत्तर तथा साठ वर्ष की लगभग आयु माननी चाहिए। पंचभिर्दशवर्षाणीत्येवं निर्णयमायुषि। ललाटे शतवर्षाणि रेखापंचकतो वदेत।। जिस प्रकार कनिष्ठा से आयु का विचार होता है, इसी प्रकार माथे पर पाई जाने वाली रेखाओं से भी आयु का निर्णय होता है। यदि माथे पर साफ पांच रेखाएं हों तो व्यक्ति सौ वर्ष की आयु वाला होता है। यहां भी अनुपात से आयु समझनी चाहिए। 59

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