Book Title: Saral Samudrik Shastra
Author(s): Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh

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Page 56
________________ सरल सामुद्रिक शास्त्र सिद्धान्त को अपनायेगा कि किसी पर भी विश्वास मत करो । • इस अंगुली की नोक ज्यादा नुकीली हो तो वह दूसरों को किसी भी जाल में फंसा सकता है। इसका नुकीला भाग चौरस (चौकोन) हो तो वह व्यक्ति एक अच्छा शिक्षक होगा । • अगला भाग गोल और चपटा होने से व्यक्ति व्यापार की व्यवस्था अच्छी से अच्छी कर सकता है। सम्पूर्ण भाग अंगुली का सुगठित हो और ऊपरी भाग चौरस हो तो उस व्यक्ति में काल्पनिक गुण तथा वैज्ञानिक विचारधारा होगी। • अंगुली का अग्रभाग चौरस हो और पहला पोर लम्बा हो तो वह व्यक्ति तत्व वेत्ता, भाषण द्वारा दूसरों पर प्रभाव डालने वाला तथा अच्छी पोशाक पहनने वाला होता है। तीसरे पोर से पहले पोर तक यदि नुकीली है तो गुप्त विद्या का प्रेमी होता है । • कनिष्ठायदि दीर्घास्यादूर्ध्वरेखा समाश्रिता । व्यवसायात्ततो लाभो यशस्तस्य महोज्ज्वलम् ।। यदि किसी की कनिष्ठा अंगुली अनामिका से लम्बी तथा उससे ज्यादा उर्ध्व रेखाओं से युक्त हो तो व्यक्ति को व्यापार में लाभ होगा ऐसा व्यक्ति अत्यन्त प्रसिद्ध तथा यशस्वी होता है। तर्जनी, मध्यमा, अनामिका एवं कनिष्ठा के नाम तर्जनी- प्रदेशिनी, तर्जनी, शत्रुहा, आद्या, गवेषिणी आदि । मध्यमाः- ज्येष्ठा, मध्या, मध्यमा, लक्ष्मी, सौभाग्यवती अनामिका- सावित्री, गौरी, भगवती, शिवा । कनिष्ठा- कनीनिका, कनिष्ठा, अन्त्या, लघुतारा तथा कांचनी । 56

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