Book Title: Saral Samudrik Shastra
Author(s): Arunkumar Bansal
Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh

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Page 55
________________ सरल सामुद्रिक शास्त्र कनिष्ठा का प्रभाव यह अंगुली बुध पर्वत की होती है इसका अधिक सम्बन्ध शीर्ष रेखा से है। • कनिष्ठा और अनामिका यदि बराबर हो तो व्यक्ति अच्छा भाषण देने वाला और अपने विचारों को स्टेज पर भलीभांति व्यक्त करने की क्षमता रखता है। • इसका ऊपरी सिरा अनामिका की पहली रेखा तक जाय तो वह वैज्ञानिक मस्तिष्कवाला होता है और एक अच्छा विद्वान भी होता है। • इसके लम्बी होने से व्यक्ति साधारण स्थिति से ऊपर उठकर अपनी ख्याति स्वयं अर्जित करता है। पौर्वात्य पद्धति में इसके लम्बे होने पर 'शुभ माना गया • कनिष्ठा का नुकीला होना हंसी मजाक पसन्द करे व उसे चुटकुले सुनाने का शौक रहे। • कनिष्ठा का पहला पोर सभा में चतुराई से भाषण दिलवाता है तथा वह श्रोताओं को मोहित कर सकता है। • अगर पहला पोर लचीला है और शीर्ष रेखा स्पष्ट है और पहली गांठ सुदृढ़ है तो व्यक्ति व्यापार, उद्योग चलायेगा और उसे कड़ी मेहनत और लगन से सम्पन्न करेगा। • कनिष्ठा का लम्बा होना चालाकी का सूचक है लेकिन इस बात का ध्यान रखा जाय कि शीर्ष रेखा चन्द्र पर्वत की ओर तो नहीं जा रही है अन्यथा व्यक्ति धोखेबाज, धूर्त और असत्य भाषण करेगा। • अगर अनामिका और कनिष्ठा दोनों लम्बाई में समान है तो व्यक्ति एक अच्छा दार्शनिक होगा तथा थोड़ी और ज्यादा लम्बी होने पर जीवन की सारी कठिनाइयों को हल कर लेगा। • कनिष्ठा के टेढ़ी-मेढ़ी होने से उस व्यक्ति में सदगुण तो रहेंगे लेकिन अवसर आते ही उनका लाभ नहीं ले सकेगा और न शुद्ध विचार होंगे। यदि कनिष्ठा नुकीली और टेढ़ी-मेढ़ी है, अगुष्ठ और शीर्ष रेखा ठीक है तो वह केवल इस 55

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