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(४५) होय, तेणीने तुरत विधवा थनारी जाणवी. जे स्त्रीना साथलना मूलमां श्रीवत्सनुं चिह्न होय, तेणीने राजानी राणी जाणवी. जे स्त्रीना साथलमां जमणी बाजुए चक्रन चिह्न होय, तेणीने चक्रवर्तीनी पट्टराणी जाणवी.जे स्त्रीना जमणा साथसमां चामरन चिह्न होय, तेणीने तीर्थकर सरखा उत्तम पुत्रने उत्पन्न करनारी जाणवी. जे स्त्रीना जमणा साथलमा दमनुं चिह्न होय, तेणीने जगत्नो नाश करनारा पुत्रने जन्म श्रापनारी जाणवी. जे स्त्रीना मावा साथलमा ध्वजार्नु चिह्न होय, तेणीने महाधर्मात्मा एवा पुत्रने जन्म थापनारी जाणवी. जे स्त्रीना मावा साथलमां मुशलनुं चिह्न होय, तेणीने बलननो जन्म थापनारी जाणवी. जे स्त्रीना मावा साथलमा धनुष्यनुं चिह्न होय, तेणीने वासुदेवनो जन्म श्रापनारी जाणवी. जे स्त्रीना साथलो हमेशां बहुज उष्ण रहेता होय, ते स्त्रीने पुत्री घणी थाय. जे स्त्रीना साथलो जरा ठंडा रहेता होय, ते स्त्री मूर्ख पुत्रोने उत्पन्न करे. जे स्त्रीना साथलो जरा ठंमा अने जरा उष्ण रहेता होय, ते स्त्री उत्तम पुत्र तथा पुत्रीउँने जन्म आपे. जे स्त्रीना साथलो चपटा होय, तेणीने
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