Book Title: Samudrik Shastranu Gujarati Bhashantar
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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( १८२ )
ते वाबरको बे; केमके तेना पाउलना जमणा पगना साथलमां कपिनुं ( वांदरानुं ) चिह्न बे, घने तेवो वाबरडो अथवा बलद ज्यां सुधी तारा घरमां रदेशे, त्यां सुधी तने संपत्ति प्राप्त थशे नहीं, केमके तेवा चिह्नवालो बलद शुजने सूचवनारो बे.
आ सघलो वृत्तांत सांजलीने सुदत्त शेठ तथा सघली सजा आश्चर्य पामी पढी सुदत्त शेठे घेर जइ पेली गाय तथा वाबरमाने तुटां करी वनमां बोमी दीघां; तथा त्यां स्वतंत्रपणे ते चरवा लाग्यां.
पबी ते सुदत्त शेठे गुप्ताचार्य पासे यावीने दीक्षा लीधी, तथा तीव्र तप तपीने खर्गे गयो. एवी रीते प्रसंगोपात तेवा बलदनी कथा कही.
जे बलदना पाबलना जमणा पगना साथलमा लाल रंगनुं वलयना याकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीना परिवारनी वृद्धि करे बे. जे बलदना पाबलना जमणा पगना साथलमां सफेद रंगनुं चामरना श्राकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना खामीने राज्यनुं सुख मेलवी श्रापे बे. जे बलदना पाबलना जमणा पगना घुंटण पर श्याम रंगनुं सिंहना नखना कारनुं चिह्न होय तेवो बलद तेना स्वा
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