Book Title: Samudrik Shastranu Gujarati Bhashantar
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 202
________________ (२००) तेणे सारंगने सोंपी दीधो. सारंग पण महा बुद्धिमान् तथा गुणवान् हतो. राज्य मव्या बाद सारंगे पोतानां मातपिता विगेरे कुटुंबीने बोलावीने सघलो वृत्तांत निवेदन कर्यो. ते सांजली ते अत्यंत आश्चर्य पाम्यां, तथा त्यां सुखेथी रदेवा लाग्यां. एक दिवसे ते नगरमां चंजसूरि नामे जैनी आचार्य पधार्या, तेमनी पासे राजा, राणी तथा प्रधाने वैराग्यथी दीदा लीधी, तथा गुरुनी साथे विहार करी अन्य स्थानके गया. एवीरीते तेवा चिह्नवाला बलदना प्रतापथी सारंग नामना कुंजारना निर्धन बोकराने पण श्र. कस्मात् राजकन्या तथा राज्यलक्ष्मीनी प्राप्ति थवानी प्रसंगोपात कथा कही. जे बलदना पुबमामां एटला बधा लांबा वाल होय के जेथी ते पुंगडुं जमीनने श्रमकतुं होय, तेवो बलद तेना स्वामीना परिवार तथा धननो नाश करे बे. जे बलदना पुबमामां बिलकुल वाल न होय, तेवो बलद तेना स्वामीना परिवारनो नाश करे , तथा तेने राज्य आदिकनो नय उपजावे . जे बबदना पुंबमामां तेना मूलथीज वाल होय,तेवो बलद Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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