Book Title: Samudrik Shastranu Gujarati Bhashantar
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 216
________________ (२१४) स्वप्नविचार. HM मनुष्योने नव प्रकारे स्वप्न श्रावे ले. तेमां १ 'अनुलवेली वात स्वप्नमां श्रावे . ५ सांजलेली वात स्वप्नमां देखे . ३ जोयेली वस्तु स्वप्नमां देखे . ४ प्रकृतिना विकारथी स्वप्न श्रावे . ५ सहज खन्नाव। स्वप्न यावे . ६ चिंतानी परंपराधी स्वप्न श्रावे . ७ देवतादिकना उपदेशथी स्वप्न श्रावे . धर्मकार्यनाप्रनावथी स्वप्नजोवामां आवे .ए पापना उदयथी स्वप्न श्रावे . उपर कहेला नव प्रकारनां स्वप्नमांथी पहेला उप्रकारमांथी को प्रकार, स्वप्न श्रशुल अथवा शुन जोवामां आवे तो ते निरर्थक जाय बे, अने बेहा त्रण प्रकारनां स्वप्नमांथी कोइ पण प्रकारनुं स्वप्न देखे तो तेनुं शुनाशुन फल अवश्य मले बे. रात्रिना प्रथम पहोरमां स्वप्न देखे तो तेनं फल एक वर्षनी अंदर मले बे, रात्रिना बीजा पहोरमां स्वप्न • देखे तो तेनुं फल उमासनी अंदर मले डे, रात्रिना त्रीजा पहोरमां खप्न देखे तो तेनुं फल त्रण मासनी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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