________________
(१ए) मने श्रापजो. पली प्रधाने तो पोताना एक चाकरने हुकम कयों के श्रा कराने एक हजार सोनामोहरो तेनां वासणना मूख्य पेटे श्रापजो, तथा तेने जोजन पण आपणे घेरज करावजो, अने हुं ज्यारे राजसनामांथी पालो आवं, त्यारे तेने मारी पासे तेडी लावजो. एम कही मंत्री तो राजसनामां गयो.
पालथी प्रधानना माणसे ते कुंजारना बोकराने एक हजार सोनामोहोरो गणी आपी. ते ल ते बोकरो तो अत्यंत खुशी थयो, अने विचारवा लाग्यो के आज तो हुं को उत्तम प्रकारनांज शुकन जोश्ने आव्यो के जेथी मने मारां वासणोनी एक हजार गणी किंमत मली. पड़ी तेणे पोताना बलदने उत्तम प्रकारनो खोराक तथा घासचारो नाख्यो. पनी प्रधानना माणसे तेने स्नान करावीने चोजन करवा माटे बेसाड्यो. कोइ दिवसे जन्म धरीने पण नहीं चाखेलां एवा उत्तम प्रकारनां जोजननो स्वाद चाखीने आश्चर्य पामी विचारवा लाग्यो के अहो! मने श्रावां उत्तम प्रकारनां जोजन हमेशां मले तो केवु सारूं? । जोजन कर्या बाद प्रधाननो चाकर तेने दिवान
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org