Book Title: Samudrik Shastranu Gujarati Bhashantar
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 186
________________ ( १८४ ) मार्गे पर्यटन करावे बे, तथा व्यापारमां तेने खुट द्रव्य मेलवावी पे बे. जे बलदना पाबलना जमणा पगना घुटानी नीचेना जागमां घणा मसो उगेला होय, तेवो बलद तेना खामीना परिवारनुं तुरत मृत्यु करे बे. जे बलदना पाउलना जमणा पगना घुटनी नीचे एकथी वधारे करचलीनी वलीउ पकती होय, तेवो बलद तेना स्वामीने असाध्य रोगनी उत्पत्ति करनारो थाय बे, माटे तेवो बलद घरमां राखवो नहीं. जे बलदना पाबलना जमणा पगना घुटानी नीचेना जागमां बिलकुल रूवां उगेलां न होय, तेवो बलद तेना स्वामीनुं ब मासनी अंदर निश्चे मृत्यु निपजावे बे. जे बलदना पाबलना जमणा पगना घुंटणनी नीचे श्याम रंगनुं क - पोत पक्षीना आकारनं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीने अत्यंत सुवर्णनो लाज मेलवी पे बे. जे बलदना पालना जमणा पगनी खरी पर लाल रंगनुं गोल आकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी लक्ष्मीनी वृद्धि करे बे, तथा तेनी कीर्त्ति फेलावे बे. जे बलदना पाबलना जमणा पगनी खरी पर श्याम रंगनुं कागमानी चंचूना आकारनुं चिह्न For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Educationa International

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