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(ए) खरीनी नीचे अनेक फाटो पडेली होय, तेवो घोमो तेना पर स्वारी करनारनो नाश करे , माटे तेवा घोमा पर स्वारी करवी नहीं. एवीरीते घोमाना पग तथा उदरनुं स्वरूप कडं. हवे तेना पृष्ठनागर्नु (पीउनुं) स्वरूप कहे .
जे घोमानो पृष्ठनाग विस्तारवालो तथा वच्चेथी जरा चपटो होय, तेने उत्तम जातिनो अश्व जाणवो. जे घोमानो पृष्ठनाग खामावालो तथा विषम होय, तेवा घोमा पर स्वारी कर्याथी स्वारी करनारने रोगनी उत्पत्ति थाय बे; माटे तेवा घोमा पर वारी करवी नहीं. जे घोमाना पृष्ठनाग पर उत्रने श्राकारे लंबन होय, तेवो घोमो वासुदेवनेज मले बे; पण बीजाने मलतो नथी. जे घोमाना पृष्ठ नाग पर शंखनुं चिह्न होय बे, तेवो घोमो तेना स्वामीनु रक्षण करे , तथा तेने अत्यंत संपत्ति मेलवी आपे बे. जे घोमाना पृष्ठनाग पर मत्स्यनुं चिह्न होय , तेवो घोमो पाणीमां सुखेथी तरी शके जे. जे घोमाना पृष्ठनाग पर सिंहना पंजाना श्राकार- चिह्न होय, तेवो घोमो रणसंग्राममां सर्वश्री उत्कृष्ट जय मेलवे बे, अने तेवो घोमो राजाने बहुज उपयोगी तथा
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