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(ए६)
शहेर बहार वनमा फरवा जतो, ते घोसीनी गति अत्यंत सुख श्रापनारी हती; तेथी राजानी ते पर अत्यंत ममता श्रश्, अने तेनुं ते घणी चीवटथी रक्षण करवा लाग्यो.
एक दहाडे तेना राज्य पर अयोध्या नगरना सूरसिंह राजाए चडा करी. सुकांत राजा पण पोतानुं लश्कर लश्ने तेनी सामे श्राव्यो; तथा ते बन्ने बच्चे जयंकर रणसंग्राम थयुं, तेमां बन्नेनी सेनाना असंख्य माणसोनो नाश थयो. बेवटे सूरसिंहनुं लश्कर कंटालीने नासवा लाग्यु; त्यारे सुकांत पण पोतानी घोमी पर स्वार थश्ने केटलाक स्वारो सहित तेनी पाउल थयो, तेने पोतानी सेना पागल आवतो जोश्ने सूरसिंहे पोतानी सेनाने हिंमत श्रापीने पानी वाली, तथा सुकांतने पकडीने केद कर्यो; केमके सुकांत जे घोमी पर बेठेलो हतो, ते घोमी सूरसिंहना घोमानो नाद सांजलीने स्तब्ध थइ. पड़ी एवी रीते सुकांतने शत्रुने हाथे केदी थएलो जाणीने तेनी साथेना स्वारो पण नासी गया. पड़ी सूरसिंह सुकांतनुं राज्य लश्ने तेने पोतानी
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