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( १९५) दिकनो नाश पुण्यना यथीज थाय ने तोपण तेवा हस्ती श्रादिको तेना निमित्तरूपे रहे . ___एटर्बु कहीने आ चारणमुनि पण खस्थानके गया.
पली आनंदपुरना राजाए सुवर्णपुरनी गादी पर त्यांना राजाना पुत्रने बेसाड्यो, तथा ते हस्तोना कलेवरनो पण नाश कराव्यो, अने पली पोताने स्थानके गयो.
धनपाले पण ते सघलो वृत्तांत जाणीने पोतानी उपकारी वेश्याने तथा रदकने पोतानी पासेनुं धन थापी दीधुं, तथा पोते तापसी दीक्षा लइ अझान तप तपीने पहेले देवलोके गयो.
एवी रीते तेवा लक्षणवाला हस्तीनी प्रसंगोपात कथा कही.
जे हाथीना पेट पर नीचेना जागमां सफेद रंगर्नु जहाजना ( वहाणना) थाकारनुं चिह्न होय तेवो हाथी तेना खामीने जलपर्यटन करावे , तथा तेथी तेना धननी वृद्धि करे बे; जे हाथीना पेट पर नीचेना नागमां धनुष्यना श्राकार- सफेद रंगनुं चिह्न होय, तेचो हाथी तेना खामीने रणसंग्राममा जय मेजवी थापे .जे हाथीना पेट पर नीचेना जागमा सफेद
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