________________ पृष्ठांकः विषयः | पृष्ठांकः विषयः 429 अव्यापक ज्ञान मानने पर प्रात्मव्यापकता | 448 एकान्तभेद पक्ष में वैपरीत्य की उपपत्ति का भंग 446 सत्ताग्राही प्रत्यक्ष प्रमाणभूत-पूर्वपक्ष 430 प्रसंगतः समवायसमीक्षा 446 'सत्-सत्' अनुगताकारप्रतीति से सत्तासिद्धि 430 समवाय सत्पदार्थों का, असत्पदार्थों का ? 450 जाति की प्रतीति व्यक्ति से भिन्न होती है 431 सत्तासमवाय से पदार्थसत्त्व की अनुपपत्ति / 451 समानेन्द्रियग्राह्य होने पर भी जाति व्यक्ति 431 नमक के उदाहरण से समवाय का स्वतः भिन्न है सत्व अनुपपन्न 452 व्यक्ति को देखते समय जाति का भान नहीं 432 समवाय दो समवायी का होगा या असम होता-उत्तर पक्ष वायी का? 453 बाह्यार्थ के रूप जाति का भान नहीं होता 433 समवाय की सिद्धि प्रत्यक्षप्रमाण से अशक्य 453 सर्वत्र समानाकार प्रतीति की आपत्ति 433 आगमवासनाशून्य बालादि को भी समवाय मिथ्या है प्रतीत नहीं होता 454 भिन्नव्यक्ति में तुल्याकारप्रतीति का आल४३५ समवायसाधक अनुमान निर्दोष नहीं है म्बन बुद्धि है 435 समवाय का समवायी के साथ सम्बन्ध है या 454 जाति में अनेक व्यक्तिव्यापकता की अनुपनहीं? [समवायचर्चा समाप्त] पत्ति 436 ईश्वरात्मा और बुद्धि का अभेद असंगत 455 पूर्वोत्तर व्यक्ति में जाति की साधारणता 437 घटादिकार्य और स्थावरादि में वैलक्षण्य ___अनुभवबाह्य 437 ईश्वरबुद्धि में क्षणिकत्व का विकल्प असंगत 455 प्रत्यभिज्ञा से अनेकव्यक्तिवृत्तित्व का बोध 438 ईश्वरबुद्धि में अक्षणिकत्व का विकल्प असंगत अशक्य 439 कार्यत्वहेतुक अनुमान बाधित है। 456 कर्ता से जाति का अनुसन्धान अशक्य 440 कार्यत्वहेतुक को समालोचना का प्रारम्भ 457 स्मति की सहायता से अनुसन्धान अशक्य 440 कारणों में असद वस्तु का समवाय असंभव 457 प्रत्यक्ष से पूर्वरूप का अनुसन्धान अशक्य . 441 असत् वस्तु किसी का कारण भी नहीं होता 458 पूर्वरूपग्राही बुद्धि सत्पदार्थग्राही नहीं हो 442 देहादि को सत् मानने में अन्योन्याश्रय सकती 442 प्राक असत् वस्तु सत्ता समवाय से सत नहीं। 459 कार्यत्व रचनावत्त्च से भी सिद्ध नहीं हो सकती 460 संयोगपदार्थसमीक्षणम 442 'न सत्न असत' कहना परस्परव्याहत 460 नैयायिकाभिमत संयोगपदार्थ की प्रालोचना 443 नयमित प्रयोग से बचने के लिये व्यर्थ / 460 उद्योतकर कथित संयोगसाधक युक्तियाँ उपाय / 46 / उद्योतकर की युक्तियों का निरसन 444 अन्यमत में नैरात्म्य के निषेध की अनपपत्ति | 462 चैत्र और कुडल के सम्बन्ध की समीक्षा 444 नैरात्म्य के अभाव सात्मकत्वरूप है 463 विशिष्ट अवस्थावाले क्षिति बोज-जलादि से 445 सत्तापदार्थसमीक्षा ___ अंकुरजन्म 445 न्यायमत में सत्तापदार्थ की असंगति 46. संयोग का वचनप्रयोग वस्तुद्वयमूलक ही है 446 द्रव्यादिसम्बन्ध से सत्ता के सत्त्व की आपत्ति 464 कृतबुद्धिजनक कार्यत्व पृथ्वी आदि में असिद्ध 447 द्रव्यादि स्वतः सव नहीं है इस अनुमान का भंग 465 कार्यत्वहेतु की असिद्धि का समर्थन