Book Title: Samavayangasuttam
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 371
________________ Great Men 157 157. ते णं काले णं ते णं समए णं कप्पस्स समोसरणं णेतव्वं जाव गणहरा सावच्चा णिरवच्चा वाच्छिन्ना। At that time, in that period [the description of] the holy assembly (samavasarana) to be known [as occurred in] Kalpasutra up to [the description of] the direct-disciples [Sudharmā, the one) with descendants and [the remaining ones] without descendants became extinct. जंबुद्दीवेणं दीवे भारहे वासे तीताए उस्सप्पिणीते सत्त कुलकरा होत्था, तंजहामित्तदामे सुदामे य, सुपासे य सयंपभे। विमलघोसे सुघोसे य, महाघोसे य सत्तमे॥७४॥ There were seven governors (kulakaras) in Bhārata region in the continent of Jambudvipa, in the past ascending half-cycle (utsarpini), namely; Mitradāma, Sudāma, Supārśva, Svayamprabha, Vimalaghoșa, Sughoṣa and Mahāghoșa, the seventh. 74. जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे तीताए 'उस्सप्पिणीए दस कुलकरा होत्था, तंजहा"सतजले सताऊ य, अजितसेणे अणंतसेणे य। 'कक्कसेणे भीमसेणे, महासेणे य सत्तमे॥७५॥ दढरहे दसरहे सतरहे। 1. "इह शंकारौ वाक्यालङ्कारार्थो"-अटी०॥ 2. “कप्पस्स समोसरणं नेयव्वं ति इहावसरे कल्पभाष्योक्तक्रमेण समवसरणवक्तव्यताऽध्येया, सा चावश्यकोक्ताया न व्यतिरिच्यते। वाचनान्तरे तु पर्युषणाकल्पोक्तक्रमणेत्यभिहितम्"-अटी०॥ 3. दृश्यतां-स्थानाङ्गे सू० ५५६॥ 4. भरहे खं० जे० हे १ ला २॥ 5. उस्स मु०। ओस मु० विना। इदमत्रावधेयम् अत्र वक्ष्यमाणायां दशकुलकरवक्तव्यतायां च ओस इति पाठो हस्तलिखितादर्शेषु वर्तते, तथापि स्थानाङ्गसूत्रानुसारेण अत्र अने च उस्स' इति पाठोऽस्माभिराहतः। दृश्यतां स्थानाङ्गे सू० ५५६, ७६७, पृ० ३१५ टि० १३। अस्य समवायाङ्गसूत्रस्य प्रान्तभागेऽपि कुलकरवक्तव्यतायां द्रष्टव्यम्॥ . 6. विम्हल' खं० हे १ ला २॥ 7. दृश्यतां टि०५॥ 8. सयंजले मु०। सतंज्जले हे २। दृश्यतां स्थानाने सू० ७६७॥ 9. कज्जसेणे खं० हे १, २ ला २ मु०॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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