Book Title: Samavayangasuttam
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 397
________________ Great Men 345 116उस्सप्पिणि 117आगमेसाए तित्थकराणं तु पुव्वभवा॥१५५॥ Ambada, Dārumada and also to be known the enlightened Svāti. [These are to be known as] the names of the previous births of future Seers. 155. - एतेसि णं चउवीसं तित्थकराणं 118चउवीसं पितरो भविस्संति, 11°चउवीसं मातरो भविस्संति, 120चउवीसं पढमसीसा भविस्संति, 121चउवीसं पढमसिस्सिणीतो भविस्संति, 122चउवीसं 123 पढमभिक्खादा भविस्संति, 124चउवीसं चेतियरुक्खा भविस्संति। There will be twenty-four fathers, twenty-four mothers, twenty-four first-disciples, twenty-four first woman-disciples, twenty-four maiden alms donors and twenty-four scared trees (caityavrksa) of these twenty-four Seers. - जंबुद्दीवे णं दीवे 125 भरहे वासे 126आगमेसाए 127उसप्पिणीए बारस चक्क!2 वट्टी भविस्संति, तंजहा- . भरहे य दीहदंते गूढदंते य सुद्धदंते य। सिरिउत्ते सिरिभूती सिरिसोमे य सत्तमे।।१५६॥ There will be twelve universal monarchs (cakravarti) in the Bharata region of the continent of Jambūdvīpa, in the coming ascending half-cycle, 116. ओसप्पिणि खं०। ओसप्पिणी हे १ ला २। उस्सपिणी ला १। अत्र मु० मध्ये तु "भावीतित्थगराणं णामाई पुखभवियाई" इति उत्तरार्धे दृश्यते॥ 117. मेस्साए हे २ ला १॥ 118., 120., 121., 122., 124. चउवीसं इत्यस्य स्थाने हस्तलिखितादर्शेषु सर्वत्र २४ इति पाठो विद्यते॥ 119. मु० विना-अत्र चउवीसं इत्यस्य स्थाने हे २ मध्ये २४ इति विद्यते। खं० जे० मध्ये ॥छ॥ इति विद्यते, अन्यासु हस्तलिखिप्रतिषु तु किमपि न लिखितमस्ति ॥ 123. प्रतिपाठा:-पढमभिक्खादारु खंमू० हे १ ला २। पढमभिक्खादाय खंसं०। पढमं भिक्खा जे०। पढमा भिक्खादा हे २१ पढमभिक्खादायगा ला १ मु०। अत्रेदं बोध्यम्-खं० हे १ ला २ मध्ये भविस्संति इति पाठो नास्ति, किन्तु 'रू-भ' इत्यनयोरक्षरयोः प्राचीनलिप्यां समानप्रायत्वात् “दा रु' इत्यत्र रुस्थाने भकल्पनया भशब्दो भविस्संति इत्यस्य संक्षेपरूपः, अतो भिक्खादा इति पाठोऽत्र आइतोऽस्माभिः, दृश्यतां टि० २०॥ 125. भारहे हे २ मु०। 126. "मिस्साए हे २॥ 127. ओस खं० हे १ ला २। उस्स मु०॥ 128. 'ट्टिणो मु०॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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