Book Title: Samavayangasuttam
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 398
________________ 346 Samavāyāngasūtra Bharata, Dirghadanta, Gudhadanta, Suddhadanta, Sriputra, Sribhuti and Śrīsoma, the seventh.156. पउमे य महापउमे विमलवाहणे विपुलवाहणे चेव। 129रिटे बारसमे वुत्ते 130आगमेसा भरहाहिवा॥१५७॥ Padma, Mahāpadma, Vimalavāhana, Vipulavāhana, Rista, the twelfth, are said to be the coming lords of Bharata region. 157. एतेसिणं बारसण्हं चक्कवट्टीणं बारस पितरो 131भविस्संति, बारस मातरो 132भविस्संति, बारस इत्थीरयणा 133 भविस्संति। जंबुद्दीवे दीवे 134भरहे वासे आगमेसाए उस्सप्पिपीए णव बलदेव-वासुदेवपितरो भविस्संति, *135णव वासुदेवमातरो भविस्संति, * णव बलदेवमातरो भविस्संति, णव दसारमंडला भविस्संति, तंजहा-उत्तिमपुरिसा मज्झिमपुरिसा पहाणपुरिसा136 ओयंसी एवं सोचेव वण्णतो भाणियव्वो जाव नीलगपीतगवसणा दुवे दुवे रामकेसवा भातरो भविस्संति, तंजहा शंदे य १ 137णंदमित्ते २ दीहबाहू ३ तहा महाबाहू ४। 138अइबले ५ 139महब्बले ६ बलभद्दे य सत्तमे ७॥१५८॥ There will be twelve fathers, twelve mothers and there will be twelve jewels like wives of these (future) universal monarchs. There will be nine fathers of Baladevas and Vāsudevas, nine mothers of Vāsudevas, nine mothers 129. वरिढे मु०॥ 130. आगमेस खं० हे १ ला २। आगमेसि हे २ ला १। आगमिसा मु०॥ 131. भवति जे०॥ 132. भवति जे०॥ 133. भविस्संति इत्यस्य स्थाने हस्तलिखितादर्शेषु भ इति संक्षिप्तः पाठः।। 134. भारहे हे २ मु०॥ 135. जे० मु० विना ** एतदन्तर्गतः पाठो नास्ति खं० हे १ ला २। ** एतदन्तर्गतपाठस्थाने नव बलदेववासुदेवमायरो भविस्संति हे २, णव वासुदेवमायरो भविस्संति ला १॥ 136. हे २ विना-“सा ओयंसी तेयंसी एवं सो घेव मु०। ओयंसी एवं चेव ला १। “सा ओसप्पिणी एवं सो चेव खं० हे १ ला २ । सा उ ४ सप्पिणी एवं सो घेव जे०॥ 137. णंदि हे १, २ ला २॥ 138. अवइले खं० हे १ ला २ ॥ 139. महाबले ला १ मु०। महब्बबले नास्ति जे०॥ For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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