Book Title: Samavayangasuttam
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 387
________________ Great Men 335 half-cycle, there were nine mothers of Baladevas, namely: Bhadrā, Subhadrā, Suprabhā, Sudarsana, Vijayā, Vaijayanti, Jayanti, Aparajita and ninth Rohini are mothers of Baladevas.126. जंबुद्दीवे णं दीवे भरहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए नव दसारमंडला होत्था, तंजहाउत्तमपुरिसा मज्झिमपुरिसा पहाणपुरिसा ओयंसी तेयंसी वच्चंसी जसंसी छायंसी कंता सोमा सुभगा पियदंसणा सुरूवा 3"सुहसील-सुहाभिगम-सव्वजणणयणकंता 31ओहबला अतिबला महाबला अणिहता अपरातिया सत्तुमद्दणा रिपुसहस्समाणमधणा साणुक्कोसा अमच्छरा अचवला अचंडा अमितमंजुपलाव हसित-गंभीर-मधुरपडिपुण्णसच्चवयणा अब्भुवगयवच्छला सरण्णा लक्खणवंजणगुणोववेतामाणुम्माणपमाणपडिपुण्णसुजातसव्वंगसुंदरंगा ससिसोमागारकंतपियदसणा 35अमसणा पयंडदंडप्पयारगंभीरदरिसणिजा 37तालद्धयोव्विद्धगरुलकेऊ महाधणुविकड्ढया महासत्तसागरा दुद्धरा धणुद्धरा धीरपुरिसा जुद्धकित्तिपुरिसा विपुलकुलसमुभवा 40महारयणविहाडगा अद्धभरहसामी सोमा रायकुलवंसतिलया अजिया अजितरहा हल-मुसलकणगपाणी संख-चक्क-गय-सत्ति-णंदगधरा पवरुजल सुकंतविमलगोत्थुभतिरीडधारी कुंडल 29. मंडणा खं० ला १ अटीपा०। "दसारमंडल त्ति दशाराणां वासुदेवानां मण्डलानि.....केचित्तु दसारमंडणा इति पठन्ति, तत्र दशाराणं वासुदेवकुलीनप्रजानां मण्डनाः शोभाकारिणो दशारमंडना उत्तमपुरुषा इति"-अटी०॥ 30. "सीला खं० हे १,२ ला २ मु०। "पदत्रयस्य कर्मधारयः"-अटी०॥ . 31. तोहयला जे०। तोहब्बला ला १॥ 32. “महणा जे०॥ 33. मितमंजुलाव' खमू०, मितमंजुपलाव खंसं०। मितंमजुलाव' हे १ ला २। मितंजुवला जे०। मितमंजुलपलाव मु०। "मिते परिमिते मञ्जुनी कोमले प्रलापश्चालापो हसितं च येषां ते मितमजु- . प्रलापहसिताः"-अटी०॥ 34. 'हसिया मु०। “पदद्वयस्य कर्मधारयः" -अटी०॥ 35. अमसिणा हे २। असमणा जे०। अमरिसणा मु०। “अमसण त्ति अमसृणाः प्रयोजनेष्वनलसाः, अमर्षणा वा अपराधिष्वकृतक्षमाः"-अटी०॥ 36. 'प्पयारा खं०। 'प्पभारा मु०। "प्रकाण्ड उत्कटो दण्डप्रकार आज्ञाविशेषो नीतिभेदविशेषो वा येषां ते तथा, अथवा प्रचण्डो दःसाध्यसाधकत्वाद दण्डप्रचारः सैन्यविचरणं येषां ते तथा। गम्भीरा ..... दृश्यन्ते ये ते तथा गम्भीरदर्शनीयाः, ततः पदद्वयस्य कर्मधारयः। प्रचण्डदण्डप्रचारेण वा ये गम्भीरा दृश्यन्ते"-अटी०॥ 37. तालुद्धविद्ध जे०। तालद्धाविद्ध' हे २। तालद्धयोविद्ध' खं०। “तालध्वजोद्विद्धगरुडकेतवः" -अटी०॥ 38. महाधणुयकट्टगा जे० ला १। "महाधनुर्विकर्षकाः महाप्राणत्वात्"-अटी०॥ 39. दुद्धरा महाबला धणु खं०। दुरंद्धरा महाबला वीरपुरिसा जे०॥ 40. महारणविहाडगा अटीपा० । “पाठान्तरेण तु महारणविघटकाः"-अटी०॥ 41. सुंकत जे०।सुक्त' हे २ मु०। “सुकान्तः कान्तियोगात्, पाठान्तरे सुकृतः सुपरिकर्मितत्वात्"-अटी०॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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