Book Title: Samavayangasuttam
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 373
________________ Great Men 321 जंबुद्दीवे णं दीवे 16भारहे वासे इमीसे णं ओसप्पिणीए 17चउवीसं तित्थकराण पितरो होत्था, तंजहा णाभी जियसत्तू या०18 [जियारी संवरे इ य। मेहे धरे पइटे य महसेणे य खत्तिए॥७॥ सुग्गीवे दढरहे विण्हू वसुपुजे य खत्तिए। कयवम्मा सीहसेणे य भाणू विस्ससेणे इ य॥७९॥ सूरे सुदंसणे कुंभे सुमित्तविजए समुद्दविजये य। राया य आससेणे सिद्धत्थे च्चिय खत्तिए।।८०॥] गाहा। There were twenty-four fathers of [twenty-four] Seers in Bharata region in the continent ofJambudvipa, in this descending half-cycle (avasarpini), namely: Nabhi, Jitasatru, up to [Jitāri, Samvara, Megha, Dhara and Pratistha, Mahāsena ksatriya. Sugriva, Drdharatha, Visnu, Vasupujyaksatriya, Krtavarmā, Simhasena, Bhānu, Viśvasena, Sūra, Sudarśana, Kumbharāja, Sumitra, Vijaya and Samudravijaya. Kíng Aśvasena and Siddhārtha kșatriya (78-80)]. उदितोदितकुलवंसा विसुद्धवंसा गुणेहिं उववेया। तित्थप्पवत्तयाणं एते पितरो जिणवराणं॥८१॥ .. . The fathers of these great Seers, the founders of the tīrthas (order of: monk, nun, layman and lay woman), descended form high dynasties, lineage and pure dynasties and possessed virtues. 81. 19जंबुद्दीवे एवं मातरो . 20मरुदेवा० [विजय सेणा सिद्धत्था मंगला सुसीमा-य। पुहई लक्खण रामा नंदा विण्हू जया सामा॥८२॥ 16. भरहे.खं० जेमू० हे १ ला २॥ 17. "ब्बीसं खं० हे १ ला २॥ 18. य खं०। या नास्ति हे १ ला २॥ आवश्यकनियुक्तौ गा० ३८७-३८९ ॥ 19. जंबुद्दीवे २ एवं हे २ ॥जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए चउवीसं तित्थयराणं मायरो होत्था मरुदेवा० गाहातो। तं० इति मु० मध्ये पाठः॥ 20. अटी० मध्ये आवश्यकनिर्युक्तौ च मरुदेवि इति पाठो गाथासु वर्तते, तथापि मूलादर्शानुसारेण मरुदेवा इति पाठोऽस्माभिनिर्दिष्टः, अवशिष्टश्च पाठो अटी० स्थितगाथानुसारेण परिपूरित इति ज्ञेयम्॥ आवश्यकनियुक्ती गा० ३८५-३८६॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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