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कारण में कारण- सिंघई कुंवरसेन जी दिवाकर सिवनी महोदय ने अहमदाबाद से वर्णी दीपचंद जी के समाधिलाभार्थ पत्र मंगाने में धर्म निमित्त उत्साह बतलाया है तथा इनके प्रकाशित कराने की भी प्रेरणा की है, जिसके लिये आपको कोटिशः धन्यवाद है।
हर्ष की बात- स्व० हजारीलाल जी के आत्मज
खूबचंद जी की धर्मपत्नी सौ. राधाबाई ने ५०० प्रतियां और स्व. चौधरी नंनेलाल जी की धर्मपत्नी खिलौना बाई ने २५० प्रतियां इन ज्ञानसुधामय पत्रों की छपा कर समाज हितार्थ वितरण कराने की उदारता दिखलाई है जो कि स्त्रीसमाज के लिये एक आदर्श कार्य है। आगामी अन्य महिलायें भी ऐसे महत् पुण्यकार्य के करने में अनुकरण करेंगी ऐसी आशा है अतः उपरोक्त बाईयों को कोटिशः धन्यवाद है।
हर्ष में हर्ष- उपरोक्त ज्ञानमय पत्रों की उपयोगिता
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