Book Title: Samadhi Maran Patra Punj
Author(s): Kasturchand Nayak
Publisher: Kasturchand Nayak

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Page 30
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir maSaaaaaaaam DB श्री जिनाय नमः UEDIOSERau ये पत्र स्व० उदासीन ब्र. दीपचंद जी वर्णी के समाधिलाभार्थ उनके प्रत्युत्तर में पूज्य पं० गणेश प्रसाद जी वर्णी के द्वारा लिखे गये हैं। उपरोक्त पत्रों से ये विद्वत्ता, भावपूर्ण, सारगर्भित और विशेष ज्ञान ज्योति के जाग्रत करने वाले हैं। गाचचचचचार पत्र नं. १ लालजलाचचचचचचार श्रीमान् वर्णी जी-योग्य इच्छाकार ! पत्र न देने का कारण उपेक्षा नहीं किन्तु अयोग्यता है। मैं जब अंतरङ्ग से विचार करता हूं तो उपदेश देने की कथा तो दूर रही। अभी मैं सुनने और बांचने का भी पात्र नहीं। वचन चतुरता से किसी को मोहित कर लेना पाण्डित्य का परिचायक नहीं। श्री कुंदकुंदाचार्य ने कहा है। For Private and Personal Use Only

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