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वे लोग मेरे पास मुहूर्त दिखला गये है। पहला मुहूर्त माघ. सु. सप्तमी का आता है, दूसरा मुहूर्त माघ सु 3 अथवा दसमी को पाता है । आपके पांव में तकलीफ है, इसके साथ के साधुओं को अनुकूलता बराबर नही । अतः माघ महीने का मुहूर्त लेना । रत्नत्रयी की आराधना में उद्यत रहना । शरीर सम्हालना । चाहिए प्रादि वस्तु मंगवाना,
लि. सेवक गोकुल की वंदना सं. 1942 का. सु. 12
पूज्य श्री एक ही क्षेत्र में अधिक रहने में शास्त्र-दृष्टि से अनुचित लगने से पू. गच्छाधिपति की आज्ञा प्रा गई अतः कार्तिक सु. 14 के व्याख्यान में चातुर्मास बदलने की आग्रह भरी विनती हुई । पू. गच्छाधिपति श्री का पत्र कपड़वंज वालों की बात इत्यादि की घोषणा करके कार्तिक वि. का विहार की सूचना प्रकट कर दी।
सम्पूर्ण श्री संघ खलबला उठा । पूज्य श्री के रहने से उदयपुर श्री संघ में अलौकिक धर्म जागृति पाई हैं । धर्मशासन पर के अनेक आक्रमण टले है तो पूज्य श्री यहां अब अधिक स्थिरता करे वैसा आग्रह करने लगे । परन्तु पूज्य श्री अधिक बात न करके मौन धारण करके पू. गच्छाधिपति की आज्ञा को आगे करके बात को शमित करने का प्रयत्न किया। पूर्णिमा के दिन चातुर्मास परिर्वतन के प्रसंग में श्री संघ में