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तरह कि, अचानक खजाना मिलने की तरह खुब आनंदित पूज्य श्री को निश्रा में मौन एकादशी की भव्याराधना विधिपूर्वक की। पूज्य श्री ने मगन भाई भगत को तथा पू. चरित्रनायक श्री को पास बिठाकर संयम धर्म की महत्ता, उसकी प्राप्ति के लिये भव्य पुरुषार्थ तथा तत्सम्बन्धी व्यवस्थित योजना के लिए विचारणा करके उनको संयम के मार्ग पर बढ़ने की प्रेरणा प्रदान की। बाद में माघ वि. 1 प्रातः पूज्य श्री प्रातर सूब दहेगाम होकर माघ वि. 7 के दिन नरोड़ा पधारे । अहमदाबाद समाचार पहूँचने से पू. गच्छाधिपति श्री द्धारा योग्य का सन्मान योग्य रोति से करने के उद्देश्य से खुद के आठ दस साधुओं को लेने के लिए भेजा ।
पूज्य श्री ने भी खूब ही उल्लास से नरोड़ा श्री गोड़ी पार्श्वनाथ जी की यात्रा करके विद 8 के मंगल दिन शुभ चोघड़िये में पूज्य गच्छाधिपति श्री के पास उजमभूषा की धर्मशाला में पधारे। पूज्य गच्छाधिपति श्री को खूब भावोल्लास पूर्वक वंदना की।
पू. गच्छाधिपति श्री ने भी पूज्य श्री का हृदय उत्साह से स्वागत किया। रतलाम, इन्दोर, महीदपुर तथा उदयपुर में की गयो विशिष्ट शासन-प्रभावना के सम्बन्ध में धन्यवाद देकर उदयपुर जैन श्री संघ के धार्मिक जीर्णोद्धार के विषय में खूब अभिनन्दन किया। यथावसर पू. गच्छाधिपति की रतलाम, इन्दोर तथा उदयपुर के चातुर्मास के बीच में हुई
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