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तब ही पदवी देने प्रदान करने की मेरी भावना है । बाकी तनिक भी दबाव नहीं करना । तेरो बात भी पूरी निकाल देने जैसी नहीं हैं । इत्यादि पूज्य श्री खूब ही गंभीर बन गये । पू. गच्छाविपति श्री ने भी 'अधिक खींचने में सार नहीं समझकर उस समय उस बात को टाल रखा । थोड़े दिनों के बाद पू. गच्छाधिपति श्री ने फिर से बात तनिक छेड़ी, परन्तु पूज्य श्री फिर से गच्छाधिपति श्री के चरणों में सिर रखकर फूट फूट कर रो पड़े तथा गद्गद् स्वर में बोले कि मुझ नालायक को आप क्यों ऊँचा बिठाते हों ! तनिक दया करो तो ठीक ।
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पू. गच्छाधिपति श्री ने बाद में इस बात को पूरी तरह बन्द कर दिया । थोड़े समय बाद दोपहर के समय कीकाभट्ठ को पोलवाले सेठ दोपचंद देवचंद आदि चार पांच श्रावक पू. गच्छाधिपति के पास आये, वंदना की घोर उन्होने विनती की कि "साहेब, अब महरबानी करके श्री शत्रु जय के संघ का मुहूर्त निकाल दो तो ठोक । पूज्य गच्छाधिपति श्री ने अपने मुख्य शिष्य श्री कल्याणविजयजी तथा पू. श्री नेमविजय जी को तथा पूज्य श्री को बुलाकर बात की । पूज्य श्री नेमविजय जी महाराज ने माघ विद. 11 शनिवार का श्रेष्ठ मुहूर्त निकाला।
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