Book Title: Sagar Ke Javaharat
Author(s): Abhaysagar
Publisher: Jain Shwetambar Murtipujak Sangh

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Page 251
________________ माघ विद 11 शनिवार अपने देहरे ठाठ से सामुहिक स्नात्र पढ़ाकर शान्तिकलश करके गच्छाधिपति के पास वासक्षेप डलवाकर शुभशकुन जुड़ा कर दूसरे चौघड़िये चढ़ते सुर्य मंगल वाजित्रों के स्वरों के साथ सिद्धाचल जो की दिशा में चातुर्विध श्री संघ ने प्रयाण किया। प्रथम मुकाम छोटा जमालपुर को रखकर संघ की सारी योजना को व्यवस्थित करने एकत्रित हुए । बारेज,खेड़ा घोलका होकर उनेलिया का तीर उतर कर धंधूका में फाल्गुन चौमासा किया। संघ चार दिन धंधूका में रहा । कलिकाल सर्वज्ञ श्री हेमचन्द्र सूरि म. को जन्म भूमि की भावभरी स्पर्शना करके फा. वि. चौथ को संघ वल्लभीपुर (वला) पहुंचा। इस समय पालीताणा विराजमान पू. गच्छाधिपति श्री के शिष्य श्री कमलविजय म. अहमदाबाद में छ ‘री पालन करते संघ के साथ स्वयं को तारने वाले गुरुदेव श्री को पू. गच्छाधिपति श्री पधारने का जानकर अपूर्व गुरुभक्ति तथा वितीत भाव से पू. गच्छाधिपति श्री को लेने ठेठ वल्लभीपुर तक ( पालीनीतणा से 24 मोल) सामने आये । पूज्य गच्छाघिपति श्री अपने वित शिष्य की उदात्त मनोवृति देखकर खूब प्रसन्न हुए। ___ इस चातुर्मास में पू. गच्छाधिपति की तबियत यदाकदा २३०

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