Book Title: Sagar Ke Javaharat
Author(s): Abhaysagar
Publisher: Jain Shwetambar Murtipujak Sangh

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Page 258
________________ सूरत, उदयपुर, रतलाम, इन्दौर आदि स्थलों पर तार से खबर दी। तात्कालिक बाजारों को बंद रखवाया। देवविमान जैसी भव्य जरी वाले वस्त्रों से शोभित पालकी बनाकर पू. ' गच्छाधिपति के शरीर को स्नान कराकर, सुन्दर वस्त्रों को पहनाकर "जय जय नंदा जय जय भद्दा" के मंगल घोषों से दिशात्रों को गुजायमान करते खुले हाथों से गरीबों को दान आदि देने के साथ भव्य श्मशान यात्रा निकाली । आज कल जहां दादा साहेब की जगह है वहां आकर पवित्र शुद्ध भूमि पर चंदन के उत्तम काष्ट से चिता बनाकर पू. गच्छाधिपति की काया को पधराकर विधिपूर्वक अग्निसंस्कार किया। उसी स्थान पर श्री संघ की तरफ से देव कुलिका का निर्माण श्री संघ ने किया। - इस रीति से पू. श्री झवेरसागर जी म. ठेठ उदयपुर से पूज्य श्री के लम्बी अवधि के वियोग को टालने तथा वैसे ही पूज्य श्री की निश्रा में अधिक लाभ लेने के लिये उमंग भर कर आये, परन्तु भावी-वियोग से पूज्य श्री का चिर-विरह ही प्राप्त हुआ। इस बाबत "अ-कला हि कर्मणां गति!" के अनुसार पूज्य श्री ने मन मनाकर पू. गच्छाधिपति के कालधर्म के निमित्त श्री संघ तरफ से अष्टान्हिका महोत्सव आदि पूरा होने पर भावनगर के क्षेत्र में पूज्य श्री को स्मृति बारंबार आती रहने से माघ सु. विहार करके घोघा, तलाजा, २३७

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