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कर प्रभुशासन के मार्ग पर उनको सफल आराधक बनाने में मंथन करते रहे । अधिक पू. चरित्रनायक जी पूज्य श्री के पास यदाकदा ग्रावे, सामयिक करें । पूज्य श्री के सम्पर्क में आकर पू. चरित्रनायक श्री खूब ही विशिष्ट कोटि के पूर्व जन्म की आराधना के बल पर उदात्त तात्विक विवेक दृष्टि को बढ़ाकर प्रभु-शासन का चरित्र धर्म के प्रति अज्ञात हुए भी आकर्षित हो रहे थे ।
पूज्य श्री को भी चरित्र नायक के उद्यमी जीवन पद्धति को देखकर मगन भाई भगत की चरित्र ग्रहण करने की तीव्र मनोकामना पू चरित्रनायक श्री के संयम ग्रहण करने के ग्रादर्श का पूरक होगा ऐसा विचार कर खूब प्रमोदमय हुए । नगर सेठ की पुत्रवधु के वर्षीतप के पारणा के निमित्त अष्टापद जी के देहरे भव्य प्रष्टान्हिका महोत्सव हुआ, शान्ति स्नात्र भी ठाठ से हुआ ।
वै. सु. 3 के सुमंगल दिन चतुविध श्री संघ के बाजतेगाजते घर के प्रांगन में निर्मित भव्य मंडप में पधराकर पूज्य श्री के पास ज्ञान पूजा करके वासक्षेप लेकर मांगलिक तथा तप धर्म का पारण अर्थात - " कर्मनिर्जरा के, विशिष्ट अध्यवसाय का बलवाली श्रेणीगत निर्जरा की जा सके ऐसी भूमिका प्राप्त करने के लाभ के साथ तपधर्म में प्रागल बढ़ा जाय" आदि उपदेश सुनकर गुरू महाराज को गन्ने का रस वोरा १७५