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श्रावण-भादवा दो महीने के लिए बुला रहे हैं ।" बावजी, कृपा करो। आपमें गजब की तर्क शक्ति है आपने ही तो हमारे श्री संघ की लाज पहले भी इन ढूंढियों और समाजियों के तूफान के समय रखी है। हम कहां जावें ? और तो हम लोगों की बात सुने कौन ?" आप तो हमारे बाप की तरह हो। बच्चा भूखा हो कि दुःखी हो तो मां-बाप के सामने नहीं रोये तो कहां जाय ? आदि।
पूज्य श्री भारी उलझन में पड़ गये। एक तरफ पूज्य गच्छाधिपति श्री ने खुद को बड़ौदा की तरफ जाने की सलाह परामर्श के लिए अहमदाबाद बुलाते हैं । खुद को भी बारहबारह वर्ष पू. गच्छाधिपति की ठंडी छाया मिले ऐसा संयोग कुदरती तरीके खड़े हुए हैं और ये उदयपुर बालों की बात भी विचारने जैसी । शासन पर आक्रमण अावे तब शक्तिशाली सम्पूर्ण सामर्थ्य से रक्षा के लिए तैयारी करनी चाहिए। आदि । अन्ततः उदयपुर श्री संघ को अहमदाबाद पू. गच्छाधिपति के पास जाने की सूचना की
"मेरी तो अकल काम नहीं करती है । दोनों ही बातें मेरे लिये महत्व की है । अतः मैं तो अब पू. गच्छाधिपति श्री की जो आज्ञा होगी वह शीरोधार्य करने को तैयार हूं, आप अहमदाबाद पधारो तो अच्छा । उदयपुर का श्री संघ कार्य सिद्धि के उद्देश्य से पूज्य श्री को -" जवाब लेकर नावे
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